राज्यपाल अनुसुईया उइके आज छत्तीसगढ़ के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी तथा जनजातीय नायक शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस के अवसर पर बालोद जिले के राजाराव पठार में आयोजित वीरमेला कार्यक्रम में शामिल हुईं। इस अवसर पर राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह के प्रतिमा का अनावरण किया एवं उन्हें नमन करते हुए, श्रद्धांजलि अर्पित की।
राज्यपाल ने राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला के अंतिम दिन के कार्यक्रम में शामिल होकर, कार्यक्रम की भूरी-भूरी सराहना की। उन्होंने वीर मेला के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे अनुपम एवं अद्वितीय बताया। साथ ही वीर मेला आयोजन समिति को इस पुनीत कार्य के लिए बधाई एवं शुभकामनाएं भी दीं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजन से वीर नारायण सिंह के योगदान व बलिदान को सम्मान मिलता है एवं उनके कृतित्व से जनमानस को अवगत होने का अवसर प्राप्त होता है।
राज्यपाल ने कहा कि यह हमारे लिए अत्यंत गर्व का विषय है कि शहीद वीर नारायण सिंह का जन्म छत्तीसगढ़ की मिट्टी में हुआ। उनके बलिदान को यह मिट्टी कभी नहीं भूल पायेगी। उन्होंने कहा कि वे एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकुमत के सामने घुटने नहीं टेके और अपने देश, समाज और लोगों के लिए आखिरी सांस तक लड़ाई लड़ी। वे लोगों के प्रिय थे एवं उनके सुख-दुख में सदैव शामिल रहते थे। साथ ही उनके समस्याओं का निराकरण करने के लिए सदैव तत्पर रहते थे। शहीद वीर नारायण सिंह जी के बलिदान एवं उनके योगदान का स्मरण करते हुए उसे अतुलनीय बताया।
राज्यपाल ने कहा कि छत्तीसगढ़ के स्वाधीनता संग्राम का इतिहास जनजातीय नायको एवं वीर पुरुषों के बलिदानो से भरा पड़ा है। सुश्री उइके ने शहीद वीर नारायण सहित आदिवासी समाज के सभी महापुरुषों का पुण्य स्मरण करते हुए उन्हे सादर नमन किया और कहा कि इन जनजातीय नायकों ने शोषण एवं गुलामी से लेागों को मुक्ति दिलाया। इन जनजातिय नायकों के नेतृत्व में ही जनजातिय समाज एकत्र हुआ और ब्रिटिश शासन के काले कानूनों के विरूद्ध अपनी आवाज बुलंद की।
राज्यपाल ने उनके द्वारा जनजाति समाज के हितों के संरक्षण हेतु किये गए प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि समस्त जनजातिय समाज को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक एवं एकजुट रहने की आवश्यकता है।तभी समाज किसी भी प्रकार के शोषण से मुक्त होकर विकास की मुख्य धारा में शामिल हो सकते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि वीर नारायण सिंह और उनके जैसे अनेक महान क्रांतिकारियों के योगदान से ही आज हम सब आजादी की खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। हमें उनके विचारों से प्रेरणा लेकर देश की एकता, अखण्डता को अक्षुण्ण रखते हुए, विकास पथ पर अग्रसर होने का संकल्प लेना होगा, तभी हमारा देश विकास की दिशा में अग्रसर हो पायेगा।
राज्यपाल ने कार्यक्रम स्थल में सर्वप्रथम देव स्थल पहुंचकर पूजा अर्चना की। यहां पहुंचने पर आदिवासी कलाकारों ने परम्परागत आदिवासी नृत्यों एवं वाद्य यंत्रो के साथ राज्यपाल का भव्य तथा आत्मीय स्वागत किया । इस अवसर पर राज्यपाल ने गोंड समाज युवक-युवती परिचय सम्मेलन पुस्तक का भी विमोचन किया।
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