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Chhattisgarh News: माहिर खिलाड़ी निकले Bhupesh Baghel, कड़वाहट को नहीं बनने दिया सियासी मुद्दा

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रायपुर: छत्तीसगढ़ में नवनियुक्त राज्यपाल विस्वा भूषण हरिचंद्रन और सीएम भूपेश बघेल के रिश्ते सामान्य हैं, हालांकि राजभवन में हुए बदलाव को अभी एक माह ही गुजरा है। इससे पहले तत्कालीन राज्यपाल अनुसूईया उइके और मुख्यमंत्री बघेल के बीच गाहे-बगाहे रिश्तो में कड़वाहट आई, मगर यह स्थिति वैसी रही जैसे घर के बर्तनों के खनकने की होती है, इसकी आवाज बाहर तक लोगों को सुनाई नहीं दी। आमतौर पर केंद्र और राज्य में अलग-अलग दलों की सत्ता होने के कारण राज्य सरकारों और राज्यपाल के बीच तनातनी और टकराव आम बात है। छत्तीसगढ़ में जहां कांग्रेस की सरकार है वहीं केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली। कुल मिलाकर आशंकाएं इस बात की जताई जाती रही कि राज्यपाल और सरकार के बीच रिश्ते आम नहीं होंगे, मगर छत्तीसगढ़ में वैसी स्थितियां नहीं बनी जैसी आम तौर पर अपेक्षा की जाती है। राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को चार साल से ज्यादा का वक्त गुजर गया है और यहां इसी साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।

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बयानबाजी जमकर हुई

राजभवन और मुख्यमंत्री के बीच बड़े टकराव की बात करें तो नगरपालिका नगरीय निकायों के गठन को लेकर मुख्यमंत्री और राजभवन आमने-सामने आया था। इसकी वजह तत्कालीन राज्यपाल द्वारा नगर पंचायत और नगर पालिका के गठन को लेकर उठाए गए सवाल थे, तो वहीं भूपेश बघेल ने राज्य के विश्वविद्यालयों में गैर छत्तीसगढ़ियों की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे। इतना ही नहीं दोनों के बीच बड़ा विवाद आरक्षण संबंधी विधेयक को लेकर था, जब राज्यपाल ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किए तो दोनों ओर से बयानबाजी भी हुई।

नहीं बन पाई सियासी मुद्दा

राज्य में दोनों के रिश्तों पर नजर दौड़ाएं तो एक बात सामने आती है कि दोनों के बीच कई बार तल्खी थी मगर वह कभी भी सियासी मुद्दा नहीं बन पाई और यही कारण था कि जब अनुसुईया उइके को छत्तीसगढ़ से मणिपुर भेजा गया तो बघेल ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि, व्यक्तिगत तौर पर मैं अनुसूईया उइके को बड़ी बहन मानता हूं, मुझे इस बात की पीड़ा हमेशा रहेगी कि भाजपा ने उन्हें उनकी भावनाओं के अनुरूप काम नहीं करने दिया।

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