Chhattisgarh: होली का त्यौहार करीब ही है होली ऐसा पर्व है कि इसे पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। देश के हर राज्य में होली की खुमारी चढ़ने लगी है। लोग अपने अनोखे तरीकों से इस का त्योहार मनाते हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के मुड़ेना गांव में एक मान्यता और बरसों पुराने रिवाज के वजह से होलिका नहीं जलाई जाती है।
पूरे गांव में रंग-गुलाल और होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन होलिका दहन नहीं किया जाता। यहां के स्थानिय लोगों का ये कहना है कि, उनके दादा-परदादा के जमाने से लगभग 200 साल से गांव में होलिका नहीं जलाई जाती है। होली के पर्व पर गुलाल से रगों भरी सूखी और गीली होली खेली जाती है। ढोल- नगाड़े बजते है पर यहां होलिका दहन नही किया जाता है।
वहां के स्थानिय लोगों का ये मानना है कि बहुत सालों पहले यहां महामारी फैली हुई थी। जिसके बाद उस वक्त के ग्रामीणों ने होलिका दहन करना बंद करने का निर्णय लिया था। जिसके बाद यहां कभी महामारी नहीं फैली। इस परंपरा की वजह से ही यहां होलिका दहन नहीं होता हैं। गांव की ये परंपरा की चर्चा हर साल होली के दौरान जरूर होती है।
महासमुंद जिले के इस मुड़ेना गांव को कुंवारा गांव भी कहते है। कुंवारा गांव में ही मड़ई मेला नही लगता और ना ही हफ्ता बाजार लगता है। यहां के लोगों अपने जरूरत के सामान को आसपास के गांव से पूरा करते है। इस गांव का नाम कुंवारा रखने के पीछे भी यहां के बुजुर्ग किसी कहानी का जिक्र करते है।
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