लॉकडाउन में पति की गई नौकरी तो पत्नी ने अपने हुनर को बनाया हथियार
बिहार के बेगूसराय- कोरोना महामारी के दौरान लगाए गए लॉकडाउन ने लाखों नौकरीपेशा लोगों को एक झटके में बेरोजगार बना दिया था, लेकिन इस विपरीत परिस्थिति में कुछ लोगों ने हिम्मत नहीं हारी और इस विवाद को अवसर में बदलने के फिराक में लगे रहे। बेरोजगारों की फौज में जिसने हिम्मत नहीं हारी, वह फिर से अपने पांव पर न सिर्फ खड़े हुए, बल्कि खुद को स्थापित कर एक मुकाम को हासिल करने में सफलता पाई।
ऐसी ही एक कहानी है बिहार के बेगूसराय की रहने वाली पिंकी कुमारी की, जिन्होंने सूरत में सीखे हुनर को अपने रोजगार का हथियार बनाया और सरकारी योजना का लाभ लेकर न सिर्फ खुद का उद्योग खड़ा किया, बल्कि कमाई के साथ आस-पास के लोगों को रोजगार भी मुहैया कराया।
बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर खोदावंदपुर प्रखंड अंतर्गत मेघौल पंचायत के सरोज कुमार की पत्नी पिंकी कुमारी ने जीविका से जुड़कर 1 लाख का लोन लेकर अपने उद्योग की शुरुआत की। कुछ दिनों बाद प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के माध्यम से फिर 8 लाख लोन लेकर अपने वस्त्र निर्माण उद्योग को रफ्तार दिया। आज पिंकी कुमारी कुर्ती, प्लाजो, लेंगिस, लेडीज पेंट का निर्माण कर रही हैं। जीविका के कॉम्युनिकेशन मैनेजर राजीव ने बताया कि पिंकी चमन जीविका समूह से जुड़ी हुईं हैं।
पिंकी के पति सरोज ने बताया कि 20 साल तक सूरत में कपड़ों का निर्माण किया करते थे। आज पत्नी के सहयोग से अपने कपड़ों का निर्माण कर बेगूसराय, समस्तीपुर और खगड़िया जिले के 60 थोक विक्रेताओं को प्रति महीने उनके डिमांड के अनुसार कपड़ा उपलब्ध कराते हैं। थोक विक्रेताओं द्वारा डेढ़ लाख तक का हर माह का कपड़ा खरीदा जाता है। वहीं पटना से आकर काम करने वाले अली शेख ने बताया कि सूरत में जितनी सैलरी पर काम करते थे, उतनी हीं सैलरी यहां भी मिल रही है। पिंकी ने अपने इस कपड़ा उद्योग में 15 लोगों को रोजगार देने के साथ ही 30 हजार तक हर माह कमाई भी कर रही हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा, अगर कुछ करने की चाह हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाता है।