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अवैद्य खनन की रोकथाम के लिए संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय, मुख्य सचिव त्वरित कार्यवाही के दिए निर्देश…

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जयपुर। राजस्थान के मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने एक पत्र जारी कर राज्य में अवैद्य खनन की प्रभावी रोकथाम के लिए वन, खान, राजस्व व जिला प्रशासन सहित संबंधित विभागों की जिम्मेदारी तय करते हुए तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अवैद्य खनन के विरुद्ध सख्त कदम उठाए जाएंगे।

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अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि खनिजों का खनन वैद्य खनन पट्टा, लाइसेंस या परमिटधारी द्वारा ही किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त द्वारा किए जाने वाला खनन कार्य अवैद्य खनन की श्रेणी में आता है। इसी तरह से वन क्षेत्र में खनन भारत सरकार की अनारक्षण स्वीकृति के बिना किया जाना गैर वानिकी गतिविधियों में आता है। उन्होंने बताया कि अवैद्य खनन पर संबंधित विभागों को चिन्हित करते हुए कार्यवाही करने के लिए मुख्य सचिव द्वारा परिपत्र जारी कर स्पष्ट कर दिया गया है।

डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि मुख्य सचिव आर्य द्वारा सोमवार को जारी परिपत्र के अनुसार राज्य के वन क्षेत्रों में अवैद्य खनन रोकने की पूरी जिम्मेदारी वन विभाग की होगी और इसके लिए संबंधित वन क्षेत्र के प्रभारी अधिकारी, उपवन संरक्षक व मण्डल वन अधिकारी द्वारा अवैद्य खनन को रोकने की कार्यवाही की जाएगी। इसी तरह से गैर वन क्षेत्रों में अवैद्य खनन को रोकने की पूरी जिम्मेदारी खान विभाग की होगी।

डॉ. सुबोध अग्रवाल ने बताया कि गैर वन क्षेत्र में अवैद्य खनन पर प्रभावी कार्यवाही करने और अवैद्य खनन रोकने की संपूर्ण जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के खनि अभियंता व सहायक खनि अभियंता की होगी। परिपत्र में कहा गया है कि न्यायालय में प्रकरण आने पर वन क्षेत्र में अवैद्य खनन के लिए वन विभाग व गैर वन क्षेत्र के लिए माइंस विभाग के संबंधित अधिकारी द्वारा की गई कार्यवाही से संबंधित शपथ पत्र प्रभारी अधिकारी को भेजा जाएगा।

आर्य द्वारा जारी परिपत्र में खातेदारी भूमि और औद्योगिक क्षेत्रों मे भी अवैद्य खनन की स्थिति में संबंधित विभागों को कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। परिपत्र के अनुसार खातेदारी भूमि पर अवैद्य खनन की स्थिति में संबंधित क्षेत्र के हल्का पटवारी की जिम्मेदारी तय की गई है। हल्का पटवारी द्वारा संबंधित तहसीलदार को कार्यवाही हेतु सूचित किया जाएगा।

डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि पटवारी या खान विभाग द्वारा सूचना देने के बाद संबंधित तहसीलदार द्वारा खान विभाग के नियमों में दी गई शक्तियों का उपयोग कर सकेंगे वहीं खातेदार के खातेदारी अधिकार निरस्त करने की कार्यवाही संबंधित तहसीलदार द्वारा की जाएगा। इसी तरह से औद्योगिक या अन्य कार्यों के लिए रीको, यूआईटी या अन्य संस़्थाओं द्वारा आवंटित भूमि पर अवैद्य खनन होने पर संबंधित संस्था के प्रभारी अधिकारी द्वारा पुलिस में अवैद्य खनन के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जानी चाहिए। ऎसी भूमि पर अवैद्य खननपर संबंधित संस्था कार्यवाही नहीं कर पाती है तो इस तरह के आवंटन को जिला कलक्टर या सक्षम अधिकारी द्वारा आवंटन निरस्त करने की कार्यवाही की जाएगा।

मुख्य सचिव आर्य द्वारा जारी परिपत्र के अनुसार राज्य सरकार व जिला प्रशासन द्वारा अवैद्य खनन की रोकथाम के लिए समय समय पर संयुक्त अभियान चलाया जाएगा। उन्होंने बताया कि अभियान के दौरान संयुक्त दल में संबंधित विभाग के नामित अधिकारी द्वारा विभागीय नियमों के अनुसार अवैद्य खनन रोकथाम के लिए संयुक्त रुप से कार्यवाही की जाएगा।

एसीएस माइंस ने की उच्चाधिकारियों के साथ बैठक, दिए आवश्यक निर्देश

अतिरिक्त मुख्य सचिव माइंस डॉ. सुबोध अग्रवाल ने सोमवार को ही सचिवालय में निदेशक खान केबी पण्ड्या, उपसचिव नीतू बारुपाल व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक ली और कहा कि राज्य सरकार प्रदेश में अवैद्य खनन की रोकथाम के लिए गंभीर है और इसके लिए प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जानी है। उन्होंने अधिकारियों को राज्य सरकार द्वारा अवैद्य खनन के विरुद्ध की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में दिए गए दिशा-निर्देशों की पालना सुनिश्चित करने के निर्देश देते हुए संबंधित विभागों से समन्वय बनाकर कार्यवाही करने को कहा हैं।

 

 

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