राहुल भट्ट के हत्या को लेकर कश्मीरी पंडितों में काफी आक्रोश दिख रहा है। शुक्रवार को 350 सरकारी कर्मचारियों ने कत्ल के विरोध में इस्तीफा दे दिया। सभी ने अपना इस्तीफा उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को भेज दिया है। गुरुवार को बड़गाम जिले के एक सरकारी दफ्तर में दो आतंकियों ने घुसकर राहुल भट्ट की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इसके बाद से घाटी में जबर्रदस्त तनाव का माहौल है। वहीं शाम को कश्मीरी पंडितों ने लाल चौक पर आंदोलन करने की चेतावनी दी है।
आतंकियों को भारी कीमत चुकानी होगी
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ट्विटर पर लिखा कि राहुल भट्ट के परिजनों से मुलाकात की। मैंने उनके परिवार को न्याय दिलाने का आश्वासन दिया। सरकार दुख की इस घड़ी में राहुल के परिवार के साथ है। आतंकवादियों और उनके समर्थकों को उनके इस अपराध के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
बता दें राहुल बट बड़गाम जिले के विस्थापित कॉलोनी में रहते थे और पिछले आठ सालों से वहीं नौकरी कर रहे थे। राहुल बट के परिवार में उनकी पत्नी, उनका पांच साल का बेटा और पिता हैं जो पुलिस से रिटायर हो चुके हैं।
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हनुमान चालीसा का पाठ और लाउडस्पीकर हटाने हल नहीं- संजय राउत
वहीं शिवसेना के वरिष्ठ नेता तथा सांसद संजय राउत ने सरकार पर टिप्पणी करते हुए बोला कि हनुमान चालीसा का पाठ करने तथा लाउडस्पीकर हटाने से कश्मीरी पंडियों का हल नहीं निकलेगा। यदि इस दिक्कत को समाप्त करना है तो केंद्र सरकार को कड़े फैसले लेने होंगे। उन्होंने कहा कि आखिर कब तक पाकिस्तान की ओर उंगली उठाकर उसे अपराधी ठहराते रहेंगे। आखिर हम इस दिक्कत को समाप्त करने के लिए क्या कर रहे हैं? राहुल भट्ट की पत्नी मीनाक्षी ने बताया कि चडूरा में राहुल असुरक्षित महसूस कर रहे थे। वह 2 वर्षो से स्थानीय प्रशासन से हेडक्वाटर भेजने की अपील कर रहे थे। मीनाक्षी ने कहा कि जब कश्मीर में दो अध्यापकों का क़त्ल हुआ था, तब भी राहुल ने सुरक्षा की बात कहकर ट्रांसफर मांगा था, मगर उनका ट्रांसफर नहीं किया गया।