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Hindi Diwas 2021: आखिर 14 सितंबर को ही क्‍यों मनाया जाता है हिंदी दिवस, जानिए पूरी बात

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नई दिल्ली। आज 14 सितंबर है और आज के दिन देशभर में हिंदी दिवस मनाया जाता है। हिंदी हमारे देश की मुख्य भाषा है। इसका महत्व तो हम  सब जानते है लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर क्यों हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। क्या है इसका इतिहास और क्या है इसकी महता?

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बता दें कि देशभर में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है। य‍ह दिन हिंदी भाषा की महत्‍वता और उसकी जरुरत को याद दिलाता है। साल 1949 में 14 सितंबर के ही दिन हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। यह इस दिन की उपल्बिध है कि आज के दिन ही हिंदी को राजभाषा का टैग मिला था। इस दिन से बस ‘हिंदी दिवस’ मनाने की परंपरा की शुरुआत हो गई। जिसके बाद से अब तक हर साल 14 सितंबर को ‘हिंदी दिवस’ मनाया जाता है। उधर आपको बता दें कि इस दिन को महत्‍व के साथ-साथ याद करना भी जरूरी है, क्‍योंकि आज अंग्रेजों से आज़ाद होने के बाद यह देशवासियों की स्‍वाधीनता की एक निशानी भी है।

राजभाषा के चुनाव को लेकर था बड़ा सवाल

वहीं, साल 1947 में जब भारत आजाद हुआ तो देश के सामने एक राजभाषा के चुनाव को लेकर सबसे बड़ा सवाल था। वैसे भारत हमेशा से विविधताओं का देश रहा है। इस देश में सैकड़ों भाषाए और बोलियां बोली जाती है। लेकिन राष्ट्रभाषा के रूप में किस भाषा को चुना जाए ये सबसे बड़ा प्रश्‍न था। काफी विचार करने के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुन लिया गया। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया गया।

14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से यह फैसला लिया था कि हिंदी भारत की राजभाषा होगी। प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाए जाने की घोषणा की। सबसे पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।

कुछ जगह हुआ विरोध-प्रदर्शन

उधर, राजभाषा के तौर पर अंग्रेजी को हटाकर हिंदी को चुने जाने पर देश के कुछ हिस्सों में विरोध प्रर्दशन हुआ था। तमिलनाडु में जनवरी 1965 में भाषा विवाद को लेकर दंगे भी छिड़ गए थे। सन 1918 में महात्मा गांधी ने हिंदी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने को कहा था। गांधी जी ने ही हिंदी को जनमानस की भाषा भी कहा था।

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