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कथित भड़काऊ भाषण के आरोपी पिंकी चौधरी की जमानत याचिका खारिज, कोर्ट ने कहा- हमारा समाज तालिबानी नहीं

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नई दिल्ली: 8 अगस्त को दिल्ली के जंतर-मंतर पर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आरोप है कि इस कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी नारे लगाए थे। 9 अगस्त को कनॉट प्लेस थाने में 6 लोगों के ऊपर FIR दर्ज की गई।

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पुलिस तहकीकात से पता चला की कार्यक्रम का आयोजन अश्विनी उपाध्याय नाम के शख्स ने की थी। 6 लोगों में से एक शख्स था- भूपेंद्र शर्मा उर्फ पिंकी चौधरी, इन्होंने कोर्ट जाकर पहले ही अग्रिम जमानत की अर्जी डाल दी। ये वही पिंकी चौधरी हैं जिन्होंने 2020 में जेएनयू में छात्रों पर हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी।

हम तालिबान नहीं- कोर्ट

पिंकी चौधरी की अग्रिम जमानत की अर्जी को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अनिल अंतिल ने खारिज कर दिया। लाइव लॉ के अनुसार न्यायाधीश अनिल अंतिल ने कहा कि, “हम तालिबान नहीं हैं, हमारे यहां के बहु-सांस्कृतिक समाज में कानून का पवित्र शासन है। जब पूरा भारत आज़ादी का अमृत महोत्सव (स्वतंत्रता दिवस) मना रहा है, कुछ लोग अभी भी असहिष्णु और आत्मकेंद्रित विश्वासों से बंधे हुए हैं। अदालत के सामने कथित मामले के अपराध में आवेदक/अभियुक्त की मिलीभगत प्रथम दृष्टया में रखी गईं सामग्री से स्पष्ट है”।

न्यायाधीश अनिल अंतिल ने आगे कहा, “आवेदक हिंदू रक्षा दल का अध्यक्ष है, एक भाषण के स्वर और कार्यकाल और कथित साक्षात्कार के माध्यम से उसमें इस्तेमाल किए गए धमकी भरे शब्दों को ध्यान में रखते हुए और उसके कद और प्रभाव की पृष्ठभूमि का विश्लेषण किया गया है, इसकी प्रबल संभावना है यदि आवेदक/अभियुक्त जमानत पर रिहा किया जाता है, तो इस स्तर पर वह जांच में बाधा डालेगा और गवाहों को प्रभावित करेगा या धमकी देगा।”

कोर्ट ने बीच सुनवाई के दौरान कहा कि आवेदक पर गंभीर आरोप हैं और कथित रूप से गंभीर प्रकृति के हैं। जहां ऐसी घटनाएं हुई हैं वहां इतिहास भी अछूता नहीं है। सांप्रदायिक तनाव के कारण दंगे हुए और आम जनता की जान-माल की क्षति हुई। “स्वतंत्र अभिव्यक्ति की स्वतंत्रतावादी अवधारणा की आड़ में आवेदक/अभियुक्त को संवैधानिक सिद्धांतों को रौंदने की अनुमति नहीं दी जा सकती है, जो समावेशिता और समान भाईचारे को बढ़ावा देते हैं।

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