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पाकिस्तान के सियालकोट में श्रीलंकाई युवक को ‘ईश निंदा’ के आरोप में जिंदा जलाया, जानें क्या है ईश निंदा!

डिजिटल डेस्क: शुक्रवार को पाकिस्तान के सियालकोट में एक फैक्ट्री के मजदूरों ने मैनेजर को सड़क पर जिंदा जला दिया। जानकारी के मुताबिक मृतक मैनेजर का नाम प्रियांथा कुमारा है जो श्रीलंका का नागरिक है। इस घटना के बाद पूरे शहर को सील कर दिया गया है। बता दें मृतक मैनेजर जिस फैक्ट्री में काम करता था वहां पाकिस्तान की टी-20 टीम की जरुरतों का सामान बनाया जाता है।

पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन न्यूज’ के अनुसार सियालकोट के वजीराबाद रोड इलाके में एक मल्टीनेशनल फैक्ट्री में स्थानीय मजदूरों की भीड़ ने फैक्ट्री के एक्सपोर्ट मैनेजर को पहले बाहर निकालकर पीटा। इसके बाद मौत के उपरांत उसे सड़क पर ही जला दिया गया। अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सियालकोट के पुलिस ऑफिसर उमर सईद मलिक ने इस मामले की पुष्टी की है और बताया है कि घटना शुक्रवार दोपहर की है।

इस घटना के वायरल वीडियो को देखकर लगता है कि मामला ईश निंदा का है। वीडियो से पता चलता है कि पैगंबर के अपमान के आरोप में श्रीलंकाई युवक को मौत के घाट उतार दिया गया।  

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा- इस घटना की रिपोर्ट तलब की गई है। मामले की हाई लेवल जांच कराई जाएगी। जो लोग भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। राज्य के आला अफसर जांच करेंगे।

क्या है ईश निंदा ?

ईशनिंदा दो शब्दों से मिलकर बना है, ईश अर्थात ईश्वर और निंदा यानि बुराई इसलिए इसका अर्थ बनता है ईश्वर कि निंदा। अंग्रेजी में इसे ब्लासफेमी (BLASPHEMY) कहते हैं।

बहुतायत देशों में इसे लेकर कानून बने हुए हैं। अक्सर देखा गया है जिन देशों में राजधर्म का पालन होता है वहां पर ईश निंदा के कानून होते हैं। जैसे पाकिस्तान एक इस्लामी देश के तौर पर जाना जाता है इसलिए वहां ईश निंदा का कानून है और वहां का कानून इसे मानता भी है।

क्या भारत में लागू होता है ईश निंदा कानून ?

अब सवाल ये होगा कि क्या भारत में भी ईश निंदा कानून लागू होता है? इसपर लोगों में मतभेद है। कुछ लोगों का मानना है कि भारत में भी अगर कोई व्यक्ति ईश निंदा करता है तो उसे भारत का न्याय तंत्र दंडित करेगा। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि भारत में किसी भी तरह का ईश निंदा कानून नहीं है।

दरअसल भारत की न्याय व्यवस्था में ईश निंदा को लेकर सजा का कोई प्रावधान नहीं है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है तो उसे सजा हो सकती है। धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने में और ईश निंदा में अंतर होता है। अंतर ये कि धार्मिक भावना जनता से जुड़ी होती हैं और ईश निंदा का जुड़ाव भगवान/ परमात्मा से है।

भारत की संस्कृति में माना जाता है कि अपने परमात्मा से कोई भी सवाल कर सकता है, नाराज हो सकता है।

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