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Dream 11 के डर्टी गेम की कहानी, बर्बाद हो रहे करोड़ों हिन्दुस्तानी

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देश में इस समय IPL चल रहा है और चल रहा है वो कारोबार, जो निरन्तर युवाओं को कर्जे की दुनिया में धकेल रहा है। क्रिकेटर के करोड़ों पक्के हैं चाहे वो उन्हें खेलकर मिलें या लोगों को खिलाकर। कम्पनी भी करोड़ों कमा लेगी, BCCI भी करोड़ों निकाल लेगी, टीमों के मालिक भी कमा लेंगे, लेकिन बर्बाद होंगे हमारे देश के युवा, बर्बाद होंगे इस देश के बच्चे ,बर्बाद होंगे इकॉनमी से कमजोर लोग।

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आखिर खामोश क्यों है सरकार?

अब सवाल ये उठता है कि आखिर ऑनलाइन गेमिंग को लेकर सरकार क्यों नहीं कुछ कर रही है?, आखिर कोर्ट क्या कर रही है?, इस समय देश में Dream 11, MPL, My Circle 11 जैसे सैकड़ों ऑनलाइन गेमिंग या सीधे शब्दों में कहें तो सैकड़ों ऑनलाइन बैटिंग करवाने वाले एप की बाढ़ सी आई हुई है और देश में एकाएक कर्जदार और मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ रही है। ये हम नहीं कह रहें हैं बल्कि इस कड़वी सच्चाई को उजागर कर रहे हैं देश के प्रतिष्ठित डॉक्टर और आम जन।

ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन के केस दिन-प्रतिदिन बढ़ रहे

The Shut Clinic Banglore के हेड डॉ. मनोज शर्मा ने एक मैगजीन को दिये इन्टरव्यू में कहा कि ऑनलाइन गेमिंग एडिक्शन के केस दिन-प्रतिदिन बढते ही जा रहे हैं सही आंकड़ें दे पाना अभी मुश्किल है क्योंकि टेक्नोलॉजी आधारित एडिक्शन अभी हमारे देश में बहुत सीरियसली नहीं लिया जाता है। तो वहीं ऐम्स की डॉ. रचना भार्गव ने कहा- कई भारतीय फेंटसी गेम में पैसे लगाना तब तक एक समस्या नहीं समझते जब तक ये जानलेवा न बन जाये या मानसिक बीमारी न बन जाये। हम लोग रोज ऐसे मामलों को देख रहे हैं।

खुद के पैसे के साथ रिश्तेदारों का पैसा हर रहे लोग

एक युवा जो सिलेण्डर डिलीवरी का काम करता है, अपने कजन के 2.60 लाख रुपये इन गेमों को खेलकर हार जाता है और कजन के पैसा वापस मांगने पर अपने साथ हुई डकैती की झूठी कहानी पुलिस में दर्ज करवा देता है। तफ्तीश के दौरान जब सच्चाई सामने आती है तो फैंटसी गेम के एडिक्शन से पैसे हारने की बात सबको बताता है। कोई चन्द्रशेखर नाम के व्यक्ति जो इण्डियन आर्मी में पोस्टेड हैं उन्होने ट्वीट के जरिये जानकारी दी कि फैंटसी गेम को खेलकर अपनी सारी जमा पूंजी तकरीबन 20 लाख रुपये हार चुके हैं और साथ ही साथ बैंक का कर्जा भी हो गया है, करीब 55000 रुपये उनकी सैलरी है जो पूरी की पूरी ई0एम0आई0 में चली जाती है। अब इसमें वो क्या बचायें और क्या बीबी-बच्चों को खिलायें।

पुलिस के जवान तक हुए Dream 11 का शिकार

दिल्ली पुलिस के उत्तर जिले के पुलिस उपायुक्त सागर सिंह कलसी एक व्यक्ति को साइबर क्राइम के मामले में गिरफ्तार करते हैं तो उसकी कहानी पूरे पुलिस महकमे को हिला देती है। दरअसल, वो व्यक्ति दिल्ली पुलिस का ही 2021 में बर्खास्त कान्सटेबल होता है जो 2016 में जीवन के बेहतरीन सपने संजोकर दिल्ली पुलिस में भर्ती होता है लेकिन उसे जैसे ही Dream 11 की आदत पड़ती है उसका सारा का सारा वेतन और सारी बचत खत्म हो जाती है। रिश्तेदारों का कर्जा भी हो जाता है कर्जा चुका पाने में असमर्थ होने पर अपराध की दुनिया में कदम रख देता है और बर्खास्तगी के बाद भी पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों को ठगना चालू कर देता है।

अब हम आपको 4 ऐसे कारण बताते हैं जिसमें यूथ बहुत आसानी से फंस जाता है-


1- वेरी लो एन्ट्री बैरियर-ऐसे फैंटसी ऐप में एन्ट्री बैरियर काफी लो रखा जाता है आपके पास एक टच स्क्रीन वाला मोबाइल होना चाहिए और उसमें इन्टरनेट कनेक्शन और शुरुआत करने के लिए 10,20,50 रुपये और अन्त में मुंगेरी लाल जैसे हसीन सपने।
2- एक्सेसिव मार्केटिंग-इण्डिया में क्रिकेट एक धर्म है और क्रिकेटर भगवान और वो भगवान टी.वी. पर बार-बार आकर आपसे कह रहा है फलाने एप में टीम बनाओ, ढिकाने एप में टीम बनाओ तो आप एक बार के लिए बना ही लेंगे। इण्डिया में इस इण्डस्ट्रीज का जो सबसे बड़ा और पहला यूनीकॉर्न है उसका रेवेन्यु 4000 करोड़ है और उसने तकरीबन 2200 करोड़ रुपये मार्केटिंग में खर्च किये हैं। हम बात कर रहे हैं ड्रीम 11 की। इनकी मार्केटिंग का जो सबसे बड़ा भाग है वो IPL के इन्हीं 60 दिनों में खर्च होता है। जब इतनी बड़ी रकम मार्केटिंग में खर्च की जायेगी और हर बड़ा क्रिकेटर और आपके आदर्श एक्टर आपसे ड्रीम 11 जैसे प्लेटफार्म में टीम बनाने को कहेंगे तो इसका असर पड़ेगा ही।
3- इन्टेलिजेन्ट व्यू-हर खेल प्रेमी की आदत होती है कि ऐसे नहीं खेलना था ऐसे खेलना था, आज ये जीतेगा आज ये शतक मारेगा तो कम्पनी कहती है बहुत पता है तो खेलो और जीतो।
4- ग्रीड-ये एक प्रिसिंपल इमोशन है जो हर व्यक्ति के अन्दर होता है आज 50 लगाये 100 जीते तो लगता है 500 जीत लूं इसी लालच में जब वो हार जाता है तो उसे लगता है अब कवर हो जायेगा, इसी क्रम में वो कर्जदार बन जाता है।


ऑनलाइन फैंटेसी ऐप की वजह से लोगों को क्या-क्या नुकसान उठाना पड़ रहा है?


1-फाइनेंशियल लॉस – इसमें आपकी सारी सेविंग खत्म हो जाती है आप पर दोस्तों का, बैंक का, परिचितों का कर्जा हो जाता है।
2- प्रोडक्टिविटी लॉस – आपका काम करने में कहीं मन नहीं लगता। हर बार इस बार जीतने की चाहत आपका पीछा नहीं छोड़ती और हमेशा धकेलती है और बड़े कर्जे में डाल देती है।
3- लॉस ऑफ लाइफ– कर्जे की दुनिया में घुसने के बाद लोग गम्भीर अवसाद की दुनिया में चले जाते हैं। जहां से वापस आ पाना उनके लिए बहुत मुश्किल हो जाता है और कर्जा भरने से आसान उन्हें अपना जीवन समाप्त करना लगता है।
ये जानलेवा व्यापार आखिर रुक क्यों नहीं रहा है? इन गेमिंग इण्डस्ट्रीज ने तीन सालों में कैसे 10 हजार करोड़ से 25 हजार करोड़ की यात्रा की। रोज इतने सारे नये खतरनाक स्टार्ट अप कैसे हो रहे हैं?

Dream 11 करता है हजारों करोड़ रुपए की कमाई

Dream 11 की FY21 में कमाई 2554 करोड़ थी जो बढ़कर FY 22 में 3841 करोड़ हो गयी और 224 करोड़ तो उन्हें केवल उनके बैंक खाते में पड़े रुपए के ब्याज़ से मिले हैं। रोज तकरीबन 16 करोड़ लोग उनके साथ खेलते हैं। कोर्ट के अनुसार, सभी प्रकार की बैटिंग इस देश में गैर कानूनी है लेकिन जब बात फैंटेसी गेमिंग की आती है तो इसको लेकर देश में कोई नियम कानून ही नहीं है क्योंकि इन कम्पनियों ने अपने आपको गेम ऑफ स्किल के तहत दर्शाया है न कि गेम ऑफ चान्स के तहत। कम्पनियां कहती हैं कि लोगों को इसमें ये देखना होता है कि मैंच कौन-सी पिच पर हो रहा है?, सामने कौन-सा खिलाड़ी है?, उसकी परफार्मेंन्स क्या है? सामने बॉलर कौन-सा है?, जब इतनी सारी स्किल लगाकर ये गेम खेला जाता है तो ये सट्टा कैसे हुआ?, जुआ कैसे हुआ?, गेम ऑफ चान्स कैसे हुआ?। राजस्थान राज्य के बैन लगाने पर सुप्रीम कोर्ट ने फैंटसी गेमिंग को लीगल मानते हुए राज्य का निर्णय बदल दिया और इसे लागू करना न करना राज्यों के ऊपर छोड़ दिया।

कई राज्यों ने लगाया बैन तो कंपनियों ने निकाला तोड़

तेलंगाना, असम, उड़ीसा, सिक्किम, नागालैण्ड जैसे राज्यों के फैंटेसी गेम पर बैन लगाने से इन कम्पनियों ने सोचा कि इस तरह से उनका व्यापार तो बन्द हो जायेगा तो उन्होंने FIFS नामक एक संगठन बनाया। जिसका पूरा नाम Federation of Indian Fantacy Sport रखा और उसका अध्यक्ष Dream 11 को ही बनाया। मतलब बिल्ली को ही दूध की चौकीदारी दी। इस संगठन का कहना है कि हम भारत सरकार के सारे नियम कायदे और कानून मानते हैं, हम 18 साल से नीचे लोगों को तो खेलने ही नहीं देते और जब इनके एप को चेक किया गया तो बस एक सिंगल टिक से 18 साल से नीचे के बच्चों को खेलने का एक्सेस मिल जाता है। इसको कन्फर्म करने का इन कम्पनियों के पास कोई मैकेनिज्म ही नहीं है। अगर निष्कर्ष में पहुंचा जाए तो केन्द्र सरकार को इन खतरनाक और जानलेवा गेम को बैन करने वाले राज्यों से सीख लेकर कठोर कदम उठाने चाहिये। ताकि फिर कोई व्यक्ति इन लुभावने और मायाजाल से भरे फैंटेसी गेमिंग के चक्रजाल में फंस कर अपने आपको बर्बाद न कर ले।

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