एशियन गेम्स गोल्ड जीतकर स्मृति मंधाना ने कहा है कि अब भारत के लोगों को पता है, हमारी बेटियां भी क्रिकेट खेलती हैं। विमेंस क्रिकेट देखने के लिए भी भारतीय दर्शक स्टेडियम आ रहे हैं। देश की महिला क्रिकेट टीम का सफर पिछले 5-6 सालों में शानदार रहा है। जब महिला क्रिकेट टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, तो हमारी खूब तारीफ होती है। जब हम खराब खेलते हैं, तो हमारी आलोचना भी की जाती है।
यह बताता है कि हमारे खेलने से भारत के लोगों को फर्क पड़ता है। इससे बड़ी मान्यता हमारे लिए दूसरी नहीं हो सकती कि भारत के लोगों को एहसास हो गया है कि इस देश में पुरुष क्रिकेट टीम के अलावा महिलाओं की भी क्रिकेट टीम है। स्मृति मंधाना ने यह बयान ICC और BCCI के द्वारा लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए लॉन्च किए गए स्कूली कोर्स के कार्यक्रम के दौरान दिया।
स्मृति ने कहा कि इसके बाद शायद लड़कियों को बचपन से क्रिकेट खेलने में ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी। 16 साल की उम्र में भारत के लिए डेब्यू करने वाली स्मृति मंधाना एशियन गेम्स गोल्ड जीतकर रो पड़ीं। इस ऐतिहासिक लम्हे में वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं रख पाईं। स्मृति मंधाना 2 बार आईसीसी विमेंस क्रिकेटर ऑफ द ईयर का खिताब जीतने वाली इकलौती भारतीय महिला खिलाड़ी हैं। स्मृति मंधाना ने 9 साल की उम्र में महाराष्ट्र की अंडर-15 टीम में जगह बना ली थी। इसके बाद 11 साल की उम्र में स्मृति ने राज्य की अंडर-19 टीम में जगह पक्की कर ली थी।
स्मृति ने अंडर-19 में जब 224 रनों की पारी खेली थी, तब उन्होंने राहुल द्रविड़ के बल्ले से बैटिंग की थी। यह बल्ला स्मृति के भाई को राहुल द्रविड़ ने गिफ्ट किया था। स्मृति मंधाना की क्रिकेट में दिलचस्पी अपने भाई को खेलते हुए देखकर आई। इसके बाद उन्होंने अपने पिता की इच्छा के अनुसार बाएं हाथ से बल्लेबाजी करना शुरू किया। शुरुआत में लड़कियां कम क्रिकेट खेलती थीं, इसलिए स्मृति मंधाना लड़कों के साथ ही क्रिकेट फील्ड पर उतरती थीं। एशियन गेम्स गोल्ड जीतने के बाद स्मृति मंधाना ने कहा कि जब राष्ट्रगान के समय झंडा ऊपर की तरफ जा रहा था, तो मेरी आंखों में आंसू आ गए थे। यह काफी खास पल होता है। हमने टीवी पर देखा है, जब नीरज चोपड़ा ने गोल्ड जीता था। मुझे लगता है कि यह काफी स्पेशल था।
नेशनल क्रश स्मृति मंधाना ने कहा मैं इस समय काफी खुश हूं और बहुत गर्व महसूस कर रही हूं। मैं भारत के लिए इसी तरह लगातार जीतना चाहती हूं। एशियन गेम्स गोल्ड जीतने के बाद मैं अपने इमोशंस पर काबू नहीं रख पा रही हूं। हम जो कुछ भी करते हैं, वह हमेशा तिरंगे के लिए होता है। ऐसे में गोल्ड जीतने के बाद तिरंगे का ऊंचा हवा में लहराना गौरवान्वित करने वाला लम्हा था। स्मृति मंधाना ने फाइनल में 45 गेंद पर 4 चौकों और 1 छक्के के साथ फाइनल में सबसे ज्यादा 46 रन बनाए। स्मृति ने कहा कि हम लड़कियों का अगला लक्ष्य वर्ल्ड कप जीतना है।
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