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कब है जीवितपुत्रिका व्रत? जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, व्रत कथा

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महिलाएं इस दिन अपने संतान की सुरक्षा और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं। इस बार ये व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा।

jitiya vrat
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जीवित्पुत्रिका व्रत अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। भारत के कई राज्य में इसे जितिया व्रत के नाम से भी कहा जाता है। यह व्रत संतान के लिए रखा जाता है। महिलाएं इस दिन अपने संतान की सुरक्षा और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूरा दिन निर्जल व्रत रखती हैं। इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितंबर 2022 को यानी रविवार के दिन मनाया जाएगा।

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व्रत का शुभ मुहूर्त

सितम्बर 17, 2022 को शाम 02.14 मिनट से सितम्बर 18 को शाम 04.32 मिनट तक। वहीं, उदया तिथि के अनुसार, जितिया का व्रत 18 सितंबर को रखा जाएगा और व्रत का पारण 19 सितंबर को किया जाएगा।

जीवितपुत्रिका पूजन विधि

जितिया व्रत के पहले दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। उसके बाद पूजा-अर्चना करें। इसके बाद महिलाएं भोजन ग्रहण करती हैं और उसके बाद पूरे दिन तक वो कुछ भी नहीं खाती। दूसरे दिन सुबह स्नान के बाद महिलाएं पहले पूजा पाठ करती हैं और फिर पूरा दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत का पारण छठ व्रत की तरह तीसरे दिन किया जाता है। पारण से पहले महिलाएं सूर्य को अर्घ्य देती हैं, जिसके बाद ही वह कुछ खाना खा सकती हैं। इस व्रत/त्यौहार के तीसरे दिन झोर भात, मरुआ की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है।

व्रत की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत के युद्ध में जब द्रोणाचार्य का वध कर दिया गया तो उनके पुत्र आश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्राह्रास्त्र चल दिया, जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहा शिशु नष्ट हो गया। तब भगवान कृष्ण ने इसे पुनः जीवित किया। इस कारण इसका नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। तभी से माताएं इस व्रत को पुत्र के लंबी उम्र की कामना से करने लगीं।

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