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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इन नियमों के पालन से मिलेगा शुभ लाभ, जानें क्या हैं वो नियम

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इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी(Krishna Janmasthmi) को लेकर काफी कंफ्यूजन बना रहा। जहां कुछ लोगों ने कल ही जन्माष्टमी मनाई तो कुछ लोग आज जन्माष्टमी का त्योहार मना रहें हैं। इस दिन भगवान के लड्डू गोपाल स्वरूप की पूजा व्रत रख के की जाती है। हांलाकि आपको बता दें कि कृष्ण जी का जन्म रोहिणी नक्षत्र हुआ था लेकिन इस बार ये नक्षत्र की जगह कृतिका नक्षत्र बन रहा है तो आपको घबराने की जरूरत नहीं हैं आप इस नक्षत्र में भी भगवान श्रीकृष्ण पूजा कर सकते हैं। कृतिका नक्षत्र का शुभ मुहूर्त 18 अगस्त रात 11 बजकर 35 मिनट पर आरंभ हो चुका है और ये मुहूर्त 19 यानि आज 1बजकर53 मिनट तक रहेगा।

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इस विधि से पूजा करने पर मिलेंगे लाभ

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को हुआ था। इसलिए धार्मिक मान्यता है कि जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना मध्य रात में करनी चाहिए। ऐसे में जन्माष्टमी के दिन व्रत रखते हुए भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा रनी चाहिए। इस दिन बाल गोपाल की मूर्ति स्थापना करके उनको गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करनी चाहिए इसके बाद उन्हें मनमोहक वस्त्र पहनाकर मोर मुकुट, बांसुरी, चंदन, वैजयंती माला, तुलसी दल आदि से उन्हें सुसज्जित करना चाहिए साथ ही फूल, फल, माखन, मिश्री, मिठाई, मेवे, धूप, दीप, गंध आदि भी अर्पित करने चाहिए। अंत में बाल श्रीकृष्ण की आरती करने के बाद प्रसाद का वितरण करना चाहिए।

जन्माष्टमी पर इस तरह व्रत का पालन करने से मिलेंगे लाभ

जिस तरह एकादशी के व्रत की शुरुआत दशमी तिथि से हो जाती है, उसी तरह जन्माष्टमी के व्रत की शुरुआत सप्तमी तिथि से हो जाती है। सप्तमी तिथि के दिन से ही तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज, बैंगन, मूली आदि का त्याग कर देना चाहिए और सात्विक भोजन करने के बाद ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। जन्माष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सुबह स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र पहनें और जन्माष्टमी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके बाद ”ममखिलपापप्रशमनपूर्वक सवार्भीष्ट सिद्धये, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रतमहं करिष्ये।।” मंत्र का जप करना चाहिए। इस दिन आप फलाहार और जलाहार व्रत रख सकते हैं लेकिन सूर्यास्त से लेकर कृष्ण जन्म तक निर्जल रहना होता है। व्रत के दौरान सात्विक रहना चाहिए। वहीं शाम की पूजा से पहले एक बार स्नान जरूर करना चाहिए।

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