महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है? जानिए महाशिवरात्रि का महत्व

आज जानेंगे कि महाशिवरात्रि का पर्व (festival of mahashivratri) क्यों मनाया जाता है? महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना की जाती है। सोमवार का दिन खासतौर पर भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन शिव की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाया जाता है।
साल के प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को शिवरात्रि होता है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ने वाली शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहा जाता है। महाशिवरात्रि (festival of mahashivratri) को भारत में बड़े ही हर्षोल्सास और भक्ति के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि सृष्टि की शुरुआत में इसी दिन आधी रात में भगवान शिव का ब्रह्म से रुद्र रूप में अवतरण हुआ था।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि में चंद्रमा सूर्य के नजदीक होता है। उसी समय जीवनरूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग-मिलन होता है। इसलिए इस चतुर्दशी को शिवपूजा का विधान है।
कहा जाता है कि प्रलय की बेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हैं और अपने तीसरे नेत्र की ज्वाला से ब्रह्मांड को भस्म कर देते हैं। इसलिए इसे महाशिवरात्रि (festival of mahashivratri) या जलरात्रि भी कहा जाता है। इसी दिन भगवान शिव की शादी भी हुई थी। इसी दिन महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव की बारात निकाली जाती है। रात में ही पूजा होती है और व्रती फलाहार करती हैं। अगले दिन सुबह में जौ, तिल, खीर और बेलपत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।
2022 में महशिवरात्रि कब है?
साल 2022 में महाशिवरात्रि का पर्व मंगलवार 1 मार्च 2022 को है। इस दिन व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और अगले दिन सुबह को व्रत समाप्त किया जाता है।
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