
Punjab Industrial Policy Reform 2025 : पंजाब सरकार ने राज्य में औद्योगिक नीति में सुधार और कारोबार को आसान बनाने के उद्देश्य से तीन विशेषज्ञ कमेटियों का गठन किया है. ये कमेटियाँ उद्योगपतियों, तकनीकी विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के सहयोग से विभिन्न क्षेत्रों में व्यावसायिक विकास के लिए नीतिगत सुझाव तैयार करेंगी.
स्पिनिंग और बुनाई सैक्टर कमेटी
वर्धमान टेक्सटाइल के एस.पी. ओसवाल की अध्यक्षता में स्पिनिंग और बुनाई सैक्टर के लिए कमेटी बनाई गई है. इस कमेटी में ट्राइडेंट लिमिटेड, शिंगोरा टेक्सटाइल्स, अमृतसर टैक्सटाइल प्रोसेसर्स एसोसिएशन और नाहर स्पिनिंग मिल्स जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों के प्रतिनिधि शामिल हैं. इस कमेटी का उद्देश्य टेक्सटाइल सेक्टर की चुनौतियों और संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए नीति निर्माण में सहयोग करना है.
ऐपेरल, डाइंग और फिनिशिंग यूनिट कमेटियाँ
मौंटी कार्लो फैशंस लिमिटेड के संदीप जैन की अध्यक्षता में ऐपेरल सैक्टर के लिए दूसरी कमेटी गठित की गई है. वहीं, बाला जी डाइंग के रजनीश गुप्ता की अध्यक्षता में डाइंग और फिनिशिंग यूनिट्स के लिए तीसरी कमेटी बनाई गई है. इन कमेटियों में लुधियाना के प्रमुख टेक्सटाइल, निटवियर और प्रोसेसिंग यूनिट्स से जुड़े विशेषज्ञ और व्यवसायी शामिल हैं.
व्यापक प्रतिनिधित्व और सुझाव आधारित दृष्टिकोण
प्रत्येक कमेटी में चेयरपर्सन के साथ उद्योग क्षेत्र से विविध पृष्ठभूमि के सदस्य शामिल किए गए हैं, ताकि नीति निर्माण में सभी उप-क्षेत्रों की आवाज़ सुनी जा सके. साथ ही, ADC (जनरल) लुधियाना को प्रत्येक कमेटी का सदस्य-सचिव नियुक्त किया गया है, जो मीटिंग्स के आयोजन और प्रशासनिक सहायता के लिए जिम्मेदार होंगे.
नीति सिफारिशें 1 अक्टूबर तक होंगी प्रस्तुत
सरकार ने निर्देश दिया है कि तीनों कमेटियाँ 1 अक्तूबर 2025 तक अपनी विस्तृत और व्यावहारिक सिफारिशें सरकार को सौंपेंगी. इस दौरान अन्य राज्यों की औद्योगिक नीतियों का अध्ययन भी किया जाएगा ताकि पंजाब के लिए एक ‘सर्वोत्तम-प्रकार’ की नीति तैयार की जा सके. इसके लिए GM-DIC और पंजाब ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टमेंट प्रमोशन (PBIP) की ओर से भी तकनीकी और प्रशासकीय सहयोग दिया जाएगा.
पंजाब को औद्योगिक उत्कृष्टता की ओर ले जाने की पहल
कैबिनेट मंत्री संजीव अरोड़ा ने बताया कि इन कमेटियों का गठन न सिर्फ उद्योग जगत को नीति निर्माण में भागीदारी देने की पहल है, बल्कि इससे पंजाब को एक निवेश-मैत्रीपूर्ण राज्य के रूप में विकसित करने में भी मदद मिलेगी. यह कदम प्रदेश को आर्थिक रूप से सशक्त और रोजगार के नए अवसरों से भरपूर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है.
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