कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिए जाने को लेकर कांग्रेस के कई नेता एक दूसरे पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। बयानबाजी की शुरूआत जयराम रमेश ने की थी।
जयराम रमेश ने ट्वीट में पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेब भट्टाचार्य के पद्म भूषण स्वीकार न करने की ख़बर को शेयर करते हुए कि वो सही कर रहे हैं क्योंकि वो आजाद रहना चाहते हैं, गुलाम नहीं।
जयराम रमेश के इस ट्वीट का इशारा वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर था। गुलाम नबी आजाद को सरकार की ओर से पद्म भूषण दिया जा रहा है। आजाद को कांग्रेस के उस वक्त का नेता माना जाता है जो समय-समय पर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़ा कर, अपना विरोध दर्ज कराते हैं।
इसी गुट के नेता माने जाने वाले कपिल सिब्बल ने गुलाम नबी आजाद को पद्म भूषण दिए जाने को लेकर तारीफ की है। सिब्बल ने ट्वीट में लिखा, बधाई भाई जान। ये विडंबना है कि जब देश सार्वजनिक जीवन में उनके योगदान को देखता और मान्यता दे रहा है, कांग्रेस को उनकी सेवाओं की ज़रूरत नहीं।
राज्यसभा सांसद रहे गुलाम नबी आजाद का पिछले साल कार्यकाल पूरा हो जाने के बाद कांग्रेस की ओर से उन्हें फिर से राज्यसभा नहीं भेजा गया।
एक समय सोनिया गांधी के करीबी माने जाने वाले गुलाम नबी आजाद पार्टी में नाराजगी को लेकर उस वक्त चर्चा में आए थे जब 2020 मे पार्टी के नेतृत्व को लेकर कुछ कांग्रेस नेताओं ने चिट्ठी लिखी थी। चिट्ठी लिखने वालों में गुलाम नबी आजाद का नाम भी शामिल था।
मामला खुलने के बाद गुलाम नबी आजाद ने सार्वजनिक तौर से इस बात को कबूला कि अगर पार्टी के नेतृत्व पद को लेकर चुनाव नहीं होता है तो कांग्रेस को अगले 50 सालों तक विपक्ष में ही रहना पड़ेगा।
इसके बाद गुलाम नबी आजाद का महासचिव पद भी उनसे ले लिया गया।
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