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लखीमपुर केस: वरूण गांधी के समर्थन में खुलकर बोली शिवसेना, कहा पूर्व PM इंदिरा गांधी के पोते और संजय गांधी के बेटे का खून खौल उठा है

ANI

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मुंबई: शिवसेना ने अपने संपादकीय में किसान आंदोलन पर मुखर रहे बीजेपी नेता वरूण गांधी ख़ासतौर पर लखीमपुर घटना पर खुलकर अपना रूख सामने रखने के लिए जमकर प्रशंसा की है। सामना में सभी किसान संगठनों से उनके रूख पर प्रस्ताव पारित करने की अपील की है।

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शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा है कि वरूण ने बगैर किसी राजनीतिक मकसद के तहत किसानों की मौत की निंदा की है। उन्होंने यह नहीं सोचा कि इसके नतीजे उनके उलट हो सकते हैं। उनका सच रखने का साहस काबिलेतारीफ़ है।

सामना में लिखा, किसान संगठनों को वरूण गांधी की सराहना करते हुए प्रस्ताव पारित करना चाहिए।

संपादकीय में पूछा गया कि लखीमपुर में भयावह घटना देखने के बाद किसी भी सांसद का खून नहीं खौला। क्या सब सांसदों के खून ठंडे पड़ गए हैं। केंद्रीय मंत्री के बेटे ने कथित रूप से विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को रौंदने का जघन्य अपराध किया है। जिसमें चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।

लखीमपुर की घटना पर सभी विपक्षी दलों ने यूपी सरकार को जमकर घेरने की कोशिश की है।

साल 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद साझा करने को लेकर बीजेपी से नाता तोड़ लिया था। तभी से ही शिवसेना बीजेपी पर मुखर रहती है।

लखीमपुर की दहशत भरी स्थिति को देखकर पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी के पोते खून खौल उठा है- सामना

शिवसेना ने अपने मुखपत्र में लिखा है कि “देश दुश्मनी फ़ैलाने की कोशिशों को बर्दाश्त नहीं कर सकता। वरुण गांधी (पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी के पोते और संजय गांधी के बेटे हैं। लखीमपुर की दहशत भरी स्थिति को देखकर उनका खून खौल उठा और उन्होंने अपनी राय जाहिर की।”

हाल ही में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से हटाए गए पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी ने घटना पर कहा था, “लखीमपुर खीरी में न्याय के लिए संघर्ष ‘राज्य की अभिजात अहंकारी सरकार के सामने ग़रीब किसानों के क्रूर, जघन्य नरसंहार’ के बारे में है और इसके कोई अन्य धार्मिक मायने नहीं है।”

उन्होंने कहा था कि “प्रदर्शन कर रहे किसानों के लिए ख़ुलकर “खालिस्तानी” शब्द का इस्तेमाल करना न केवल तराई के इन स्वाभिमानी पुत्रों की पीढ़ियों का अपमान है, जिन्होंने हमारी सीमाओं पर लड़ाई लड़ी और अपना ख़ून बहाया, हमारी रक्षा की बल्कि अगर इससे ग़लत प्रतिक्रिया भड़कती है तो यह हमारी राष्ट्रीय एकता के लिए भी बेहद ख़तरनाक है।”

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