Advertisement
राजनीति

राफेल पर आमने-सामने हुए कांग्रेसी-भाजपा, फ्रेंच पत्रिका में छपी रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ आरोप-प्रत्यारोप

Share
Advertisement

देश में एक बार फिर से राफेल विवाद गरमा गया है। बीजेपी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने राहुल गांधी पर साल 2007 से 2012 तक कथित राफेल विमान के सौदे पर कमीशन लेने का आरोप लगाया है।

Advertisement

संबित पात्रा का ये बयान फ़्रांसिसी जर्नल मीडियापार्ट की एक रिपोर्ट के बाद आया है। रिपोर्ट में राफेल सौदे पर कथित कमिशन लेने का जिक्र किया गया है।

इसके उलट, इन्हीं जानकारियों का हवाला देते हुए कांग्रेस भी बीजेपी पर हमला बोल रही है। कांग्रेस नेता पवन खेरा ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में जमकर निशाना साधा है।

साल 2019 आम चुनाव से पहले कांग्रेस राफेल सौदे पर भाजपा से सवाल करती आई है। यही मुद्दा है जिसको आधार बनाकर कांग्रेस ने लगातार बीजेपी को घेरा है।

लेकिन 7 नवंबर को मीडियापार्ट में छपे एक लेख के बाद बीजेपी ने राफेल सौदे पर कथित कमिशन को लेकर हमला तेज कर दिया है।

राहुल पर जमकर बोला हमला

दिल्ली में बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा, “इटली से राहुल गांधी जी जवाब दें। राफेल को लेकर भ्रम फैलाने की कोशिश आपने और आपकी पार्टी ने इतने वर्षों तक क्यों की? आज ये खुलासा हुआ है कि उन्हीं की सरकार में पार्टी ने 2007 से 2012 के बीच में राफेल में ये कमीशनखोरी हुई है, जिसमें बिचौलिए का नाम भी सामने आया है।”

खोजी पत्रिका ने क्या लिखा है

फ़्रेंच जर्नल का दावा है कि फ़्रांसीसी एयरक्राफ़्ट निर्माता दसो एविएशन ने कम से कम साढ़े सात मिलियन यूरो के फ़र्ज़ी इनवॉयस के ज़रिए रफ़ाल सौदे में सीक्रेट कमीशन का भुगतान किया है। साथ ही जर्नल के मुताबिक ये भुगतान 2007 और 2012 के बीच किया गया है।

मीडियापार्ट के इस दावे पर फ़िलहाल दसो एविएशन या भारतीय रक्षा मंत्रालय की ओर से कोई बयान नहीं आया है। लेकिन पहले भी इस जर्नल के राफेल में कमीशन के दावों को खुद राफेल बनाने वाली कंपनी दसो एविएशन और भारत का रक्षा मंत्रालय ख़ारिज करता रहा है।

साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी राफेल मामले में कमीशन की जांच के लिए दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया था।

कांग्रेस का जवाब

भाजपा के आरोपों का जवाब देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा, “मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए एक ऑपरेशन कवर-अप चल रहा है और वह फिर से उजागर भी हो रहा है। भाजपा सरकार ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का बलिदान कर दिया, भारतीय वायु सेना के हितों को खतरे में डालकर देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है।”

भाजपा का ऑपरेशन कवर-अप

“पिछले 5 वर्षों से संदिग्ध राफेल डील मामले में प्रत्येक आरोप और पहेली का प्रत्येक टुकड़ा मोदी सरकार में बैठे सत्ता के उच्चतम स्तर तक के लोगों तक जाता है। ‘ऑपरेशन कवर-अप’ में नए खुलासे से राफेल भ्रष्टाचार को दफनाने के लिए मोदी सरकार-सीबीआई-ईडी के बीच संदिग्ध सांठगांठ का पता चलता है।”

“4 अक्टूबर 2018 को भाजपा के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और एक वरिष्ठ वकील ने राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए उस वक़्त के सीबीआई के निदेशक को अपना पूरा हलफनामा, शिकायत की एक फाइल सौंपी। 11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से राफेल सौदे से जुड़े कमीशन के कथित भुगतान के संबंध में सीबीआई को दस्तावेज दिए।”

सीबीआई निदेशक आलोक का रातभर में तख्ता पलट

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेरा ने कहा, “23 अक्टूबर 2018 को पीएम मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को मध्यरात्रि में तख्तापलट कर हटा दिया, दिल्ली पुलिस के माध्यम से सीबीआई मुख्यालय पर छापा मारा और एम नागेश्वर राव को सीबीआई प्रमुख नियुक्त किया। मोदी सरकार और सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से कमीशन और भ्रष्टाचार के सबूतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की? इस मामले को क्यों दफनाया गया? मोदी सरकार ने मध्यरात्रि तख्तापलट में सीबीआई प्रमुख को क्यों हटाया?”

सवालों और आरोपों की झड़ी

“कांग्रेस-यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक रफ़ाल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी, मोदी सरकार ने वही रफ़ाल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) 1670 करोड़ रुपये में खरीदा। क्या सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए 41,205 करोड़ रुपये अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं?”

“जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान ‘ऑफ द शेल्फ’ कैसे खरीद सकते थे? फ्रेंच न्यूज पोर्टल मीडियापार्ट ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था. क्या मोदी सरकार में ‘हाईकमान’ के साथ ऐसी कोई बैठक हुई थी?”

“यह राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने, देशद्रोह और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के घोर उल्लंघन से कम नहीं है. ईडी ने घोटाले की जांच के लिए इन सबूतों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? तब मोदी सरकार ने दस्तावेजों को लीक करने वाले राजनीतिक कार्यकारी या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, दसो के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की? किसने ये गोपनीय कागज़ लीक किए?”

Recent Posts

Advertisement

एलजी साहब भाजपा के एजेंट कि तरह काम कर रहे हैं और ये सीएम केजरीवाल के खिलाफ बड़ी साजिश है- सौरभ भारद्वाज

New Delhi: आम आदमी पार्टी ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर फंडिंग से जुड़े घिसे-पिटे आरोप…

May 6, 2024

Lok Sabha Election: आजमगढ़ से सपा उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव समेत 12 ने दाखिल किया नामांकन

Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लिए सोमवार (6 अप्रैल) को नामांकन की प्रक्रिया समाप्त…

May 6, 2024

Jalandhar: भीषण सड़क हादसा, दो कारों के बीच जोरदार टक्कर, 4 की दर्दनाक मौत

Jalandhar: जालंधर-पठानकोट रोड पर रायपुर रसूलपुर गांव के पास एक भीषण सड़क हो गया. हादसे…

May 6, 2024

Lok Sabha Election 2024: BSP ने जारी की उम्मीदवारों की 13वीं सूची, जौनपुर से श्याम सिंह यादव पर लगाया दांव

Lok Sabha Election 2024: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सोमवार(6 मई) को लोकसभा चुनाव के…

May 6, 2024

Sant Kabir Nagar: जमीनी विवाद में युवक को मारी गोली, दो बाइक को किया आग के हवाले

Sant Kabir Nagar: संत कबीर नगर जिले में जमीनी विवाद को लेकर दो पक्षों में…

May 6, 2024

आज भारत की तरफ कोई आंख नहीं उठा सकता, ये है मोदी की गारंटी, उन्नाव में गरजे CM योगी

Unnao: कांग्रेस और सपा का इतिहास प्रभु राम का विरोध करने वाला रहा है। कांग्रेस…

May 6, 2024

This website uses cookies.