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राजनीति

बाबा मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ने से पहले ही घर भेज दिया गया- अखिलेश यादव

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उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल को देखते हुए सर्गमियां ज़ोरों पर हैं। सभी पार्टियों ने अपनी-अपनी ओर से प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है। जहां एक ओर चुनाव से पहले की दल-बदल की प्रक्रिया ने भी इस सप्ताह बीजेपी और सपा में तेजी पकड़ी, वहीं कुछ गठबंधन बनने से पहले टूटे।

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शनिवार को भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने अखिलेश पर दलितों का अपमान करने का आरोप लगाया तो अखिलेश यादव ने भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद पर पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने दो सीटें आंवटित की थी, जिसके लिए चंद्रशेखर आजाद ने मना कर दिया।

इसके बाद लखनऊ में आयोजित समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस में हिन्दी ख़बर के प्रधान संपादक अतुल अग्रवाल ने पांच सवाल किए, जिन सवालों ने आज राष्ट्रीय मीडिया में भी खूब सुर्खियां बटोरी।

अतुल अग्रवाल ने सवालों के तेज़ बाउंसरों पर अखिलेश यादव ने भी चौंके-छक्के लगाने की कोशिश की। जिन सवालों के जवाबों ने कहीं न कहीं केंद्र की राजनीति तक को हिला कर रख दिया।

प्रधान संपादक के सवाल

अब बीजेपी के किसी विधायक को पार्टी में नहीं लूंगा

  1. बीजेपी ने 21 सिटिंग विधायकों के टिकट काट दिए हैं, उनमें से कितने अब सपा में शामिल होंगे ? क्योंकि बीजेपी छोड़कर विधायकों और मंत्रियों के सपा में आने का सिलसिला जिस तरह से जारी है क्या बाकी विधायक भी सपा से उम्मीद बांध सकते हैं ?

अखिलेश ने इस सवाल के जवाब पर कहा, ‘मैं भारतीय जनता पार्टी से कहना चाहूंगा, अब चाहे जितने भी विधायकों के टिकट काट सकते हैं। लेकिन अब मैं बीजेपी के किसी विधायक को पार्टी में नहीं लूंगा।’

राजनीति में गोली नहीं भरोसा दिया जाता है

2. अगर सपा की सरकार बनेगी, जाहिर तौर पर सीएम आप होंगे, लेकिन समाजवादी की सरकार में उप मुख्यमंत्री कितने होंगे ? क्योंकि चर्चाएं इस बात को लेकर हैं कि स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर ओम प्रकाश राजभर तक को गोली दी गई है।

इस सवाल के जवाब पर अखिलेश यादन ने चुटकी लेते हुए कहा, ‘राजनीति में गोली नहीं भरोसा दिया जाता है। और सबसे महत्वपूर्ण ये कि डिप्टी सीएम की कोई पोस्ट नहीं होती है। हम सब पिछले पांच सालों में दो उप मुख्यमंत्री देख चुके हैं। एक स्टूल वाले डिप्टी सीएम हैं, और दूसरा उन्होंने जिंदगीभर कूड़ा और तमाम नालों की सफाई में समय गुजारा लेकिन क्या लखनऊ साफ हो गया। क्या लखनऊ स्मार्ट सिटी बन पाया।’

एक सच हमेशा बरकरार रहेगा कि मुख्यमंत्री उन्हें ही बनना चाहिए था लेकिन बाबा मुख्यमंत्री ने उन्हें मुख्यमंत्री बनने नहीं दिया।

इसके साथ ही मैने कई दफा उनसे कहा, सदन में भी कहा कि आपने कूड़ा और साफ-सफाई की जिम्मेदारी उठाई थी, आप वो तक पूरी नहीं कर पाए। तो आप किस बात के डिप्टी सीएम हैं।

अखिलश ने एक बार फिर गोमती रिवर फ्रंट का मुद्दा सवाल के जवाब में उठाया। उन्होंने कहा लखनऊ में गोमती का किनारा 900 मीटर जुड़ गया होता तो ये देश का सबसे बेहतरीन रिवरफ्रंट होता।

समाजवादी पार्टी ने मिसाल देने वाला काम किया था। जहां समाजवादी पार्टी लोगों को जोड़ रही है। हम अपने लोगों को थोड़ा पीछे करके, दूसरों को जोड़ रहे हैं। और जोड़ने का काम सपा की तरफ से किया जा रहा है। समाजवादी पार्टी हमेशा ही पॉजिटिव पॉलिटिक्स करती है, हम निगेटिव पॉलिटिक्स नहीं करते।

हम प्रोगरेसिव पॉलिटिक्स करते हैं। लेकिन ये जो लोग कहते हैं 80/20, ये वो लोग हैं जिन्होंने अपने साढ़े चार के कार्यकाल में बिजली के कारखानों का नाम नहीं रख पाए।

बीजेपी ने उन्हें पहले ही घर भेज दिया

3. क्या आप वर्तमान विधायक डॉ. राधामोहन दास अग्रवाल को मुख्यमंत्री के सामने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर गोरखपुर से खड़ा कर सकते हैं ?

जवाब में अखिलेश यादव ने कहा, ‘अभी ऐसी कोई बात ही नहीं। यहां आने से पहले इस बात की जानकारी मिली थी कि सीएम योगी गोरखपुर से चुनाव लड़ रहे हैं। और मैं तो ये मानता हूं कि भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें पहले ही घर भेज दिया है। जनता को उन्हें घर भेजना था।’

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) गोरखपुर की शहर सीट से चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में वर्तमान विधायक डॉ राधा मोहन दास अग्रवाल (Radha Mohan Das Aggarwal) का टिकट कट गया है।

विपक्ष होता तो एक्शन हो जाता

4. योगी सरकार के चार अधिकारियों के ऊपर समाजवादी पार्टी की ओर से आरोप लगाए थे। चुनाव आयोग से शिकायत भी की गई थी। क्या उसमें आगे कोई संवाद किया गया है।

जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘अगर विपक्ष सरकार होती, अधिकारी अब तक हट गए होते। जब सत्ता एक जगह हो, दोनों सत्ता एक ही पार्टी की हैं। हमे उम्मीद है कि चुनाव आयोग इन बातों को देखेगा और कार्यवाई करेगा।’

हम देखना चाहते थे कि बाबा सीएम कहां से चुनाव लड़ेंगे

5. प्रेस कॉन्फ्रेंस में 5-10 मीनट की देरी वाजिब है लेकिन आप 1 घंटे की देरी से आए, इससे सारा न्यूज़ रूम अव्यवस्थित हो जाता है।

अखिलेश यादव ने इस पर कहा कि क्योंकि लिस्ट जारी हो रही थी। हम देखना चाहते थे कि योगी जी कहां से लड़ेंगे। लेकिन पता लगा कि वो घर भेज दिए गए। साथ ही देरी पर हामी भरते हुए आगे से समय अनुसार चलने की बात कही।

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