Punjab

मुख्यमंत्री ने राज्य की शांति, प्रगति और समृद्धि के खिलाफ काम करने वाली ताकतों को कुचलने का संकल्प लिया

Patiala : मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने रविवार को राज्य की शांति, साम्प्रदायिक सद्भाव, भाईचारे और अमन-चैन को बिगाड़ने वाली ताकतों के खिलाफ काम करने का संकल्प लिया और उनकी साजिशों को विफल करने का वादा किया।

स्थानीय पोलो ग्राउंड में 76वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब गुरु, संतों, सेवादारों, शहीदों की भूमि है और इसने हमेशा भाईचारे और साम्प्रदायिक सद्भाव के मूल्यों को मानवता के लिए रोशन किया है। उन्होंने कहा कि राज्य में मेहनत से हासिल की गई शांति को बनाए रखना उनकी सरकार की पहली और प्रमुख प्राथमिकता है और इसे कोई भी बाधित नहीं कर सकेगा। भगवंत सिंह मान ने इस नेक उद्देश्य के लिए जनता का पूर्ण समर्थन और सहयोग मांगा ताकि राज्य की शांति, प्रगति और समृद्धि को किसी भी साजिश से बचाया जा सके।

पंजाब की धरती पर नफरत का बीज कभी नहीं पनपेगा- सीएम मान

मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी कि जो विघटनकारी ताकतें साम्प्रदायिक विवाद उत्पन्न करने की कोशिश कर रही हैं, उनकी नापाक योजनाओं को शुरुआत में ही नाकाम कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य में सामाजिक संबंध इतने मजबूत हैं कि कोई भी नफरत की बीज बोने की कोशिश करेगा, लेकिन पंजाब की धरती पर नफरत का बीज कभी नहीं पनपेगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यद्यपि राज्य की शांति को बाधित करने की निरर्थक कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन पंजाबी लोग प्यार, सद्भाव और शांति के बंधन को और भी मजबूत करेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 1950 में इस दिन भारत एक संप्रभु, समाजवादी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बना, क्योंकि हमारे पूर्वजों द्वारा तैयार किया गया संविधान इस शुभ दिन से लागू हुआ था। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए गौरव का क्षण था क्योंकि हमें मतदान का अधिकार मिला, जिससे हमारे पूर्वजों के सपने “जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा सरकार” को पूरा किया गया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि बीते 75 वर्षों में देश ने लोकतांत्रिक गणराज्य की भावना को और मजबूत किया है और देशवासियों ने लोकतांत्रिक मानकों में अपार विश्वास दिखाया है, और बिना किसी भय के मतदान के जरिए स्पष्ट फैसला लिया।

पंजाबियों ने देश की संप्रभुता को खतरे में डालने की हर कोशिश को विफल किया

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीयों ने विशेष रूप से पंजाबी लोगों ने देश की संप्रभुता को खतरे में डालने की हर कोशिश को विफल किया। उन्होंने कहा कि 1947, 1962, 1965, 1971 और कारगिल युद्ध में हमारे वीर सैनिकों ने देश की गरिमा और संप्रभुता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिए। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व और संतोष की बात है कि पंजाबी लोगों ने महान सिख गुरुओं से साहस और देशभक्ति की अडिग भावना विरासत में पाई, जिन्होंने हमें अत्याचार, तानाशाही और अन्याय के खिलाफ लड़ना सिखाया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे महान पूर्वजों का सपना एक स्वतंत्र और संप्रभु भारतीय गणराज्य का था, जिसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष में देशवासियों की अकल्पनीय कुर्बानियों के बाद पूरा किया गया। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई नहीं भूल सकता कि स्वतंत्रता संग्राम में पंजाबियों ने अपार बलिदान दिया था, जिसमें भारत की स्वतंत्रता के लिए प्राणों की आहुति देने वाले 80% शहीद पंजाब से थे, जबकि पंजाब देश की कुल जनसंख्या का केवल 2% है।

पंजाब कई आंदोलनों की जन्मभूमि रही

मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पंजाब ने कई महत्वपूर्ण आंदोलनों जैसे कूका, गदर, किसान, पगड़ी समभाल, और अन्य आंदोलनों की जन्मभूमि रही, और पंजाब ने लाला लाजपत राय, दीवान सिंह कालेपानी जैसे नायकों को जन्म दिया, जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ अपनी जान की बाजी लगाई। उन्होंने कहा कि शहीद भगत सिंह, शहीद राजगुरु, शहीद सुखदेव, शहीद उधम सिंह और करतार सिंह सराभा की वीरता ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ताकत दी और आने वाली पीढ़ियों को ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पंजाब ने स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भी कई कठिन समय देखे, खासकर विभाजन के दौरान जब पंजाब को बहुत कष्ट झेलना पड़ा और लाखों पंजाबी परिवारों ने अपनी जान गंवाई।

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