जलियांवाला बाग (Jallianwala Bagh) नरसंहार को इतिहास का सबसे बड़ा गोलीकांड माना जाता है, जो ब्रिटिश शासन की क्रूरता का गवाही देता है। कहा जाता है कि करीब 102 साल पहले यानि 1919 में 13 अप्रैल को हुए इस हत्याकांड में 1,650 राउंड फायरिंग हुई, जिसमें 379 लोगों की मौत हुई। रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी जिसमें जनरल डायर नामक एक अँग्रेज ऑफिसर ने अकारण ही उस सभा में उपस्थित भीड़ पर गोलियाँ चलवा दीं जिसमें 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक लोग घायल हुए थे।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अधिक प्रभाव जघन्य हत्याकांड ने डाला था। माना जाता है कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अंत की शुरुआत बनी। 1997 में महारानी एलिज़ाबेथ (Queen Elizabeth) ने इस स्मारक पर मृतकों को श्रद्धांजलि दी थी। 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरॉन (British Prime Minister David Cameron) भी इस स्मारक पर आए थे। विजिटर्स बुक में उन्होंनें लिखा कि ‘ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी’।
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक सभा रखी गई, जिसमें कुछ नेता भाषण देने वाले थे। शहर में कर्फ्यू लगा हुआ था, फिर भी इसमें सैंकड़ों लोग आए थे, जो बैसाखी के मौके पर परिवार के साथ मेला देखने और शहर घूमने आए थे वे भी सभा की खबर सुन कर वहां जा पहुंचे थे। जब नेता बाग में पड़ी रोड़ियों के ढेर पर खड़े हो कर भाषण दे रहे थे, तभी ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर (Brigadier General Reginald Dyer) 90 ब्रिटिश सैनिकों को लेकर वहां पहुँच गये। उन सब के हाथों में भरी हुई राइफलें थीं। नेताओं ने सैनिकों को देखा, तो उन्होंने वहां मौजूद लोगों से शांत बैठे रहने के लिए कहा।
सैनिकों ने बाग को घेर कर बिना कोई चेतावनी दिए निहत्थे लोगों पर गोलियाँ चलानी शुरू कर दीं। 10 मिनट में कुल 1650 राउंड गोलियां चलाई गईं थी। जलियांवाला बाग उस समय मकानों के पीछे पड़ा एक खाली मैदान था। बाहर निकलने के लिए केवल एक संकरा रास्ता था और चारों ओर मकान थे। भागने का कोई रास्ता नहीं था। कुछ लोग जान बचाने के लिए मैदान में मौजूद एकमात्र कुएं में कूद गए, पर देखते ही देखते वह कुआं भी लाशों से भर गया।
राज्यसभा में 19 नवंबर 2019 को विधेयक संसद से पारित हो गया। इससे पूर्व लोकसभा में 02 अगस्त 2019 को पारित किया गया था।
पूर्व संस्कृति राज्य मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल (Prahlad Singh Patel) ने बिल पेश करते हुए कहा कि जलियांवाला बाग एक राष्ट्रीय स्मारक है तथा घटना के वर्ष 2019 में,100 साल पूरे होने के अवसर पर हम इस स्मारक को राजनीति से मुक्त करना चाहते हैं।
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