नई संसद की लोकसभा नें कुल सीटों की संख्या-888 यानी इन सीटों को भरने के लिए सरकार को निर्वाचित सदस्यों की संख्या बढ़ानी पड़ेगी, लेकिन इसमें एक पेंच है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद-81 के मुताबिक सदन में 550 से अधिक निर्वाचित सदस्य नहीं होंगे, ऐसे में सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए संविधान के अनुच्छेद- 368 के तहत संविधान संशोधन करना पड़ेगा, और भी दिक्कते हैं जैसे 2021 की जनगणना नहीं हुई है. परिसीमन में भी दिक्कत आएगी।
आखिरी बार 1976 में, 1971 की जनगणना को आधार मानकर परिसीमन किया गया था. हर 10 लाख आबादी पर एक लोकसभा सीट का फॉर्मूला अपनाया गया था. जनसंख्या के आधार पर सीटों का बंटवारा होने पर साउथ के मुकाबले नार्थ के राज्यों को ज्यादा सीटें मिलेंगी।
अब संशोधन पर आते हैं. भारत के संविधान के अनुच्छेद 368(1) के अंतर्गत भारत की संसद को संविधान संशोधन करने की शक्ति प्रदान की गई है, अनुच्छेद 368 के मुताबिक विधेयक को प्रत्येक सदन में विशेष बहुमत से पारित किया जाना चाहिए यानी सदन की कुल सदस्यता का बहुमत और सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से प्रत्येक सदन को अलग से विधेयक पारित करना होगा।
नोट- दोनों सदनों के बीच असहमति के मामले में संयुक्त बैठक आयोजित करने का कोई प्रावधान नहीं है
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