इन दिनों देश में हिजाब (Hijab Row) को लेकर काफी विवाद चल रहा है, इतना ही नहीं मामला कोर्ट तक पहुंच गया है। आपको बता दें कि मिली जानकारी के हिसाब से कर्नाटक हाई कोर्ट की ओर से शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर बैन के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले को सुरक्षित रख लिया है।
जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच ने इस केस की लगातार सुनवाई की है और इस दौरान दोनों पक्षों की बातों को भी सुना है। आज एक बार फिर से इस मामले में दोनों पक्षों के बीच गर्मागरम बहस देखने को मिली है। जिसमें पीएफआई (PFI) का भी जिक्र सामने आया है।
इस पर छात्राओं के वकील दुष्यतं दवे और हुजेफा अहमदी ने विरोध जताया और कहा कि ऐसा कहना गलत है। उन्होंने कहा कि इस मामले में पीएफआई का कोई मतलब नहीं है और उसका जिक्र करना केस को भटकाने जैसा है ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है, जिससे यह पता चले कि इस केस में पीएफआई का भी कोई रोल है”।
इसी कड़ी में याचिकाकर्ताओं ने सुनवाई के दौरान कहा था कि यह तीन तलाक और गोहत्या जैसा नहीं है। हिजाब के बारे में तो कुरान में भी जिक्र किया गया है और मुस्लिम महिलाओं के लिए इसे पहनना फर्ज माना गया है।
यही नहीं छात्राओं के वकीलों ने ये भी कहा था कि हिजाब पहनना मूल अधिकारों के दायरे में यह आता है। इससे किसी और की आजादी पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। वहीं कर्नाटक सरकार का पक्ष रख रहे वकीलों ने कहा कि यह मामला धर्म के चश्में से देखना देश हित में नहीं होगा।
आपको बता दें कि उनका कहना था कि यह मामला तो शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य अनुशासन का है। हिजाब किसी धर्म में अनिवार्य है या नहीं, इससे स्कूल के ड्रेस कोड का कोई लेना देना नहीं है।
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