Supreme Court: सुप्नीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इन सभी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
सुप्नीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में 200 से अधिक याचिकाएं दायर की गई थी. सुप्रीम कोर्ट मे दायर की गई इन सभी याचिकाओं पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून पर किसी भी तरह की रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से सीएए पर रोक लगाने वाले दायर याचिका पर तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए है. वहीं इस मामले में अगली सुनवाई 9 अप्रैल को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि सीएए किसी भी व्यक्ति की नागरिकता नहीं छीनता है. इसके साथ ही कोर्ट ने दायर की गई सभी याचिका पर केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए 3 हफ्ते के समय की मांग की है. केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें 20 आवेदनों पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय चाहिए.
केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन नियम जारी करने के एक दिन बाद केरल के राजनीतिक दल आईयूएमएल ने नियमों के लागू होने पर रोक लगाने की मांग की. जिसको लेकर आईयूएमएल ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. आईयूएमएल ने मांग की कि इस कानून पर रोक लगान की आवश्यकता है और इसके माध्यम से मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए. वहीं सीएए के खिलाफ आईयूएमएल के अलावा असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैका और असम से कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया ने भी रोक लगाने को लेकर याचिका दायर की है.
केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद आईयूएमएल ने इस कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. आईयूएमएल द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि सीएए कानून स्पष्ट रूप से मनमाने हैं और केवल उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर व्यक्तियों के एक वर्ग के पक्ष में अनुचित लाभ पैदा करते हैं, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत अनुमति योग्य नहीं है. साथ ही यह भी कहा गया कि सीएए धर्म के आधार पर भेदभाव करता है, यह धर्मनिरपेक्षता की जड़ पर हमला कर रहा है, जो संविधान की मूल संरचना है.
केंद्र सरकार द्वारा सीएए लागू करने के बाद आईयूएमएल ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दायर याचिक पर सुनवाई करने के मंजूरी दी थी. और मामले के सम्बन्ध में 19 मार्च को सुनवाई की तारीख तय की थी.
बता दें कि नागरिकता संशोधन कानून 11 दिसंबर 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था और इसके अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई. सीएए 10 जनवरी 2020 को लागू हुआ. इस कानून के तहत उन हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता देने का काम करता है, जो अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भागे और उन्होंने 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में शरण ली थी.
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