16 फरवरी को सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने One Rank One Pension मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि OROP की अभी तक कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है। आज मामले में सुप्रीम कोर्ट अहम फैसला सुना सकती है।
One Rank One Pension को लेकर याचिकाकर्ता भारतीय भूतपूर्व सैनिक आंदोलन ने 7 नवंबर 2015 के OROP नीति के फैसले को चुनौती दी थी। उन्होंने मामले में दलील दी थी कि यह फैसला मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है क्योंकि यह वर्ग के भीतर वर्ग बनाता है और प्रभावी रूप से एक रैंक को अलग-अलग पेंशन देता है।
16 फरवरी को सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति ओआरओपी नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है। लेकिन सशस्त्र बलों के पेंशनरों को इतना कुछ मिला नहीं है। इसपर केंद्र सरकार ने खुद का बचाव किया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी पर केंद्र सरकार ने अपना बचाव करते हुए कहा था कि नीति पर फैसला केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लिया है। तब कोर्ट ने कहा था कि ओआरओपी की अभी तक कोई वैधानिक परिभाषा नहीं है।
7 नवंबर 2015 को केंद्र सरकार ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना की घोषणा की थी। अधिसूचना में कहा गया था कि योजना 1 जुलाई 2014 से प्रभावी मानी जाएगी।
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