प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन को संबोधित किया। बता दें एससीओ की स्थापना रूस, चीन, किर्गिजस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान ने 2001 में शंघाई के एक सम्मेलन में की थी। साल 2017 में भारत और पाकिस्तान एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे।
प्रधानमंत्री ने इस समिट के दौरान कहा, ‘साल हम एससीओ की 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। यह ख़ुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं। मैं ईरान का एससीओ के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हूँ। । मैं तीन नए संवाद भागीदारों सऊदी अरब, मिस्र और कतर का भी स्वागत करता हूं’।
आगे उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी से संबंधित है और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरवाद है। अफ़ग़ानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इन चुनौतियों को और स्पष्ट कर दिया है। इस मुद्दे पर SCO को पहल लेकर काम करना चाहिए’।
मध्य एशिया के बाजार और परंपराओं पर बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत में और एससीओ के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएँ हैं। एससीओ को इनके बीच एक मजबूत तंत्र विकसित करने के लिए काम करना चाहिए। भारत मध्य एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा मानना है कि भूमि से घिरे हुए मध्य एशिया के देशों को भारत के विशाल बाज़ार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है’।
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