नई दिल्ली: शिवसेना ने अपने संपादकीय सामना में ममता बनर्जी की तारीफ़ करते हुए एक लेख छापा है। सामना में CM बनर्जी की पेगासस मामले की जाँच के लिए आयोग गठन करने के फ़ैसले की सराहना की है। सामना में लिखा है कि उन्होंने वो काम किया है जो केंद्र सरकार को करना चाहिए था।
साथ ही पार्टी ने अपने मुखपत्र सामना में इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति गठित करने की विपक्ष की मांग को न मानने के लिए केंद्र की आलोचना भी की है।
सामना में लिखा है कि दो केंद्रीय मंत्रियों, कुछ सांसदों, सुप्रीम कोर्ट और सेना के वरिष्ठ अधिकारियों और पत्रकारों की कथित फ़ोन टैपिंग के मामले को गंभीर नहीं मानना “रहस्यमय” बात है।
पेगासस मामले की जांच के लिए ममता बनर्जी के दो सदस्यीय आयोग के गठन के फ़ैसले की मांग की सराहना करते हुए लिखा है, “देश के लोग अब पेगासस को भी सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स की एक सहयोगी शाखा समझेंगे। इसलिए ममता बनर्जी द्वारा उठाया गया क़दम बेहद साहसी है। उन्होंने जो किया है वो केंद्र को करना चाहिए था।”
सेना ने सामना के अपने संपादकीय में लिखा है कि सभी मुख्यमंत्रियों को अपने राज्यों के नागरिकों और उनके अधिकारों और स्वंतत्रता की रक्षा करनी चाहिए और ममता बनर्जी ने जो किया वो काम सबको “जगाने वाला” है।
सामना में इस बात का भी जिक्र किया है कि फ़्रांस सरकार पेगासस जासूसी मामले की जाँच शुरू कर सकती है तो भारत सरकार क्यों नहीं?”
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