New Delhi: शादीशुदा महिला व पुरुष के किसी दूसरे से संबंध बनाने (एडल्ट्री) को फिर से अपराध बनाया जाना चाहिए। क्योंकि विवाह पवित्र परंपरा है। इसे बचाना चाहिए। संसदीय पैनल ने भारतीय न्याय संहिता विधेयक पर अपनी रिपोर्ट में सरकार से यह सिफारिश की है।
इस रिपोर्ट में यह भी तर्क दिया गया है कि संशोधित एडल्ट्री कानून को इसे जेंडर न्यूट्रल अपराध माना जाना चाहिए। इसके लिए पुरुष और महिला को समान रूप से उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए। पैनल की रिपोर्ट को अगर सरकार मंजूर कर लेती है तो यह शीर्ष न्यायालय की 5 सदस्यीय बेंच के 2018 में दिए उस ऐतिहासिक निर्णय के विपरीत होगी, जिसमें कहा गया था कि एडल्ट्री अपराध नहीं हो सकता और न ही होना चाहिए।
यह कमेटी अमित शाह के सितंबर में संसद में पेश किए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और एविडेंस एक्ट की स्थान लेने वाले 3 विधेयकों पर विचार के लिए बनी है। 27 अक्टूबर को संसदीय समिति की बैठक हुई थी। किंतु, ड्राफ्ट रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया गया। कुछ विपक्षी सदस्यों की दलीलों को ध्यान में रखते हुए समिति ने ड्राफ्ट पर और अध्ययन के लिए समय मांगा था।
कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल से डॉफ्ट पर निर्णय लेने के लिए दिए गए वक्त को 3 माह बढ़ाने का अनुरोध किया था। सदस्यों ने कहा कि चुनावी लाभ के लिए इन विधेयकों को उछालना सही नहीं है। ये विधेयक 11 अगस्त को संसद में पेश किए गए थे। अगस्त में ही इससे जुड़ा ड्राफ्ट गृह मामलों की स्थायी समिति को भेजा गया था। कमेटी को यह ड्राफ्ट स्वीकार करने के लिए तीन महीने का वक्त दिया गया था।
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