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Pakistan Political Crisis: पाक को मिले नए वजीर-ए-आजम, पढ़िए एक महीने की सियासी उठापटक की कहानी

shahbaz sharif

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पाकिस्तान में आज से शहबाज शरीफ युग की शुरूआत हो रही है. अब पाक को नए वजीर-ए-आजम मिल गए हैं. ‘नया पाकिस्तान’ का वादा कर सत्ता में आए इमरान खान सरकार की विदाई हो चुकी हो चुकी है. पाक के नए वजीर-ए-आजम आज शपथ लेने वाले हैं.

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‘शहबाज युग’ की शुरूआत

बता दे कि, शहबाज शरीफ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) पार्टी के नेता है. अब तक वह नेशनल असेंबली में विपक्ष के नेता थे लेकिन, अब वह देश के प्रधानमंत्री बन चुके है. पाकिस्तान में साल 2018 में हुए म चुनाव में इमरान खान नया पाकिस्तान का वादा करके सत्ता में आए थे. जिसे इमरान खान Imran Khan पूरा नहीं कर सके.

इमरान सरकार धड़ाम

रविवार को पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग हुई. जिसमें इमरान सरकार धड़ाम हो गई. जिसके बाद पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी PPP के नेता बिलावल भुट्टो जरदारी ने कहा कि ‘वेलकम बैक टू पुराना पाकिस्तान.’ पाकिस्तान में सियासी जंग नया पाकिस्तान बनाम पुराना पाकिस्तान हो गई.

एक महीने चला सियासी ड्रामा

इस बीच पाकिस्तान में बीते एक महीने से खूब सियासी ड्रामा चला. जिसे पूरी दुनिया ने देखा. हालांकि, इमरान को सत्ता से बेदखल करने की तैयारी इससे काफी पहले से ही शुरू हो गई थी. जिसमें विपक्ष कामयाब भी हो गया.  

बताया जा रहा है कि 5 फरवरी को बिलावल भुट्टो जरदारी और उनके पिता आसिफ अली जरदारी ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज PML-N के अध्यक्ष शहबाज शरीफ और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बेटी मरियम नवाज से घर जाकर मुलाकात की. इसी मुलाकात में इमरान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की बात तय हुई. जिसके बाद विपक्ष इमरान सरकार के खिलाफ और ज्यादा हमलावर हो गया. इसके बाद का ड्रामा पूरी दुनिया देखती रही.

एक महीने की सियासी उठापटक…

8 मार्च को विपक्ष ने इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया. इस अविश्वास प्रस्ताव को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी PML-N, बिलावल भुट्टो की पार्टी PPP और मौलाना फजलुर रहमान की पार्टी JUI-F ने समर्थन दिया.

27 मार्च को सियासी संकट के बीच इस्लामाबाद में इमरान खान ने एक बड़ी रैली को संबोधित किया. जिसमें उन्होंने इस्तीफा नहीं देने की बात कही. इमरान खान ने अविश्वास प्रस्ताव को विदेश ताकत बताया.

31 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा को 3 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया.

3 अप्रैल को अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग को डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने खारिज कर दिया.

इसके बाद राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया.

इस पूरे सियासी ड्रामे में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया. जिसमें अविश्वास प्रस्ताव को लेकर दो टूक बयान दिया.  

7 अप्रैल को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर के फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताया.

9 अप्रैल को पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर संसद में कार्यवाही फिर से शुरू हुई.

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