नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश एनवी रमन्ना ने कहा है कि भारतीय न्याय व्यवस्था भारतीय आबादी के अनुकूल नही है, न्याय वितरण प्रणाली का भारतीयकरण करना समय की मांग है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय न्याय प्रणाली को औपनिवेशिक बताया है।
CJI कर्नाटक स्टेट बार काउंसिल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे जिसमें दिवंगत जस्टिस एमएम शांतनगौडर को श्रद्धांजलि देने के लिए लोग जुटे थे। जस्टिस एमएम शांतनगौडर का इसी साल अप्रैल में अप्रत्याशित रूप से निधन हो गया था।
सीजेआई ने कहा, ग्रामीण लोगों को छोड़ दिया जाता है और वे अंग्रेजी में कार्यवाही नहीं समझते हैं। वे अधिक पैसा खर्च करते हैं, आम आदमी को जजों और अदालतों से डरना नहीं चाहिए। अदालतों को जनता की सहजता का ख्याल रखना चाहिए। किसी भी कानूनी प्रणाली का केंद्र बिंदु वादी(Litigant) होता है। न्यायालय पारदर्शी और जवाबदेह प्रकृति के होने चाहिए।
दिवंगत जस्टिस एमएम शांतनगौडर को याद करते हुए मुख्य न्यायधीश ने कहा, ‘देश ने एक आम आदमी का जज खो दिया। वह गरीबों और वंचितों के मामलों को उठाने में रुचि रखते थे। उनके निर्णय सरल, प्रचुर, व्यावहारिक और सामान्य ज्ञान के साथ वृहद थे। वे हमेशा सुनवाई के लिए तैयार रहते थे। एक चीज जो सबसे अलग थी वह थी उनका सेंस ऑफ ह्यूमर । तमाम स्वास्थ्य कारणों के बावजूद वह हमेशा सुनवाई के लिए बैठने आते थे। मैंने उन्हें तनाव न करने के लिए कहा और उन्होंने कहा कि वह घर पर नहीं बैठ सकते। । वह अंतिम दिन तक सुनवाई के लिए बैठे रहे’।
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