भारत सरकार की योजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ इन दिनों चर्चा में है। चर्चा में होने की खास वजह विज्ञापन है। जी हां , 2014-2015 में शुरू की गई योजना का आधे से ज्यादा पैसा केवल विज्ञापन पर खर्च किया गया है। आपको बता दें अब तक इस फ्लैगशिप योजना के तहत कुल 683 करोड़ रुपए खर्च किए गए।
इनमें से 401.04 करोड़ों रुपए केवल विज्ञापन पर खर्च किए गए। जोकि कुल राशि का लगभग 58% है। यह जानकारी महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में साझा की गई। केंद्रीय मंत्री ने बताया योजना का उद्देश्य गिरते बाल लिंगानुपात और लड़कियों एवं महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है।
बीते 2 वर्षों प्रचार अभियान में खर्च में गिरावट
महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने योजना के प्राथमिक उद्देश्य गिनाए। उनका कहना था योजना का प्राथमिक उद्देश्य पक्षपातपूर्ण लिंग चयन को रोकना, बालिका शिशु के अस्तित्व की रक्षा करना और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना है। प्रचार अभियान पर उन्होंने कहा शुरुआती चरण में प्रचार के माध्यम से लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने के लिए पैसा खर्च किया गया। लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित करने से उन लोगों की दृष्टिकोण में परिवर्तन आया है। उन्होंने साफ किया कि पिछले 2 वर्षों में प्रचार अभियान के खर्च में गिरावट भी आई है।
100 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुई थी योजना
केंद्रीय मंत्री ने बताया व्यवहार परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है। उन्होंने कहा इसके लिए मीडिया प्लेटफॉर्म वेबीनार ब्रांडिंग और प्रचार की जरूरत होती है। सरकार ने इस योजना को 2014-15 में मात्र 100 जिलों में शुरू किया था लेकिन 2015-16 पुणे योजना में 61 जिले और जोड़ दिए गए। वर्तमान में योजना देश के प्रत्येक जिले में संचालित हो रही है।
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