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मालेगांव बम ब्लास्ट : 14 साल बीत गए, 125 गवाहों को अदालत में पेश होना बाकी

मालेगांव बम ब्लास्ट
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मालेगांव बम ब्लास्ट : राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया है कि उसने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में गवाहों की संख्या कम कर दी है। एजेंसी के पास पहले 195 गवाहों की सूची थी और अब इसे घटाकर 125 कर दिया गया है।

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सात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है उनमें भाजपा भोपाल सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सेना अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित और अन्य शामिल हैं। मामले के एक आरोपी समीर कुलकर्णी मुकदमे में शामिल होने के लिए हर रोज पुणे से यात्रा करते हैं और चूंकि मुकदमा वर्षों से चल रहा है, इसलिए उन्होंने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

जुलाई में, एनआईए ने कहा था कि उसके पास 218 गवाहों की सूची है और उस समय 256 गवाहों से पूछताछ की गई थी। पिछले ढाई महीने में 14 और गवाह मिले हैं।

एनआईए की ओर से पेश अधिवक्ता संदेश पाटिल ने कहा कि अदालत के सुझाव के अनुसार एजेंसी ने उनके गवाहों की सूची देखी और महसूस किया कि घटना के 14 साल बाद, कुछ गवाहों का या तो निधन हो गया था या उनका पता नहीं चल पाया था और इसलिए यह आंकड़ा घटकर 195 पर आ गया था।

इसके अलावा एजेंसी ने उनकी सूची को देखा और महसूस किया कि वे कम से कम 70 और गवाहों को छोड़ सकते हैं और अभी भी आरोपियों के खिलाफ अपना मामला साबित करने में सक्षम हैं।

इस विश्लेषण के बाद पाटिल ने न्यायमूर्ति ए एस गडकरी और न्यायमूर्ति एमएन जाधव की पीठ के समक्ष यह निवेदन किया कि एनआईए अब निचली अदालत के समक्ष केवल 125 गवाहों को पेश करेगी। मालेगांव 2008 के मुकदमे में अब तक एनआईए द्वारा 272 गवाहों को अदालत में पेश किया गया है।

शुक्रवार को सुनवाई के दौरान कुलकर्णी ने हाथ जोड़कर 2016 से चल रहे मुकदमे में तेजी लाने के उच्च न्यायालय के विभिन्न आदेशों की ओर इशारा किया। न्यायमूर्ति गडकरी ने तब कहा, “उनकी (एनआईए) शिकायत यह है कि एक गवाह क्रॉस था। आरोपी ने 9 दिन तक पूछताछ की। अगर आप स्पीडी ट्रायल चाहते हैं तो आपको भी सहयोग करना होगा। हम गवाह पेश करने के किसी के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते। सभी आरोपियों को सहयोग करना होगा।”

अदालत ने सुनवाई के अंत में कुलकर्णी की याचिका का निस्तारण कर दिया।

मालेगांव बम ब्लास्ट केस क्या है ?

29 सितंबर 2008 को मालेगांव के एक बाजार में एक बम विस्फोट हुआ जिसमें छह लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 अन्य घायल हो गए। 23 अक्टूबर 2008 को आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार कर मामले में पहली गिरफ्तारी की और फिर अन्य को भी पकड़ा गया।

20 जनवरी 2009 को एटीएस ने अपनी जांच पूरी करने के बाद मामले में चार्जशीट दाखिल की थी और 1 अप्रैल 2011 को केंद्र सरकार ने मामले में आगे की जांच एनआईए को ट्रांसफर कर दी थी।

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