Farooq Abdullah on Amit Shah Comment on Nehru’s Decision on POK: जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) के उस दावे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है जिसमें उन्होंने कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में दो बड़ी गलतियां हुई थीं.
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, “उस वक्त आप पैदा नहीं हुए थे.. जिंदा नहीं थे … उस वक्त क्या स्थिति थी.. उस समय, पुंछ और राजौरी को बचाने के लिए सेना को डायवर्ट किया गया था.. हटाया गया था. अगर राजौरी आज भारत का हिस्सा है तो ये उसी मेहरबानी से है.. अगर ऐसा नहीं किया गया होता, तो पुंछ और राजौरी भी पाकिस्तान में चला जाता. उस समय की जो स्थिति थी तब और कोई रास्ता नहीं था, लॉर्ड माउंटबेटन और सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी सुझाव दिया था कि यह संयुक्त राष्ट्र संघ में जाना चाहिए.”
”अब ये लोगों को झूठ बोल रहे हैं.. उस वक्त हालात ऐसे थे..उसके बाद कोई रास्ता नहीं था. फिर UN सिक्योरिटी काउंसिल में जिन्होंने हमला किया और जिनपर हमला हुआ उन्हें एक ही पटल पर रखा. इससे पहले वो हमला करने वालों को कुछ कहते.. तब अमेरिका का जोर था..वो पाकिस्तान की तरफ था..”
‘अगर उस वक्त फौज राजौरी और पूंछ को नहीं बचाती तो ये दोनों भी पाकिस्तान चले गए होते.’
दरअसल, कश्मीर समस्या पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में एक चर्चा के दौरान कहा था कि, “दो बड़ी गलतियां (पूर्व पीएम) पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्री काल में उनके लिए हुए निर्णयों से हुईं, जिसके कारण कश्मीर को कई वर्षों तक नुकसान उठाना पड़ा. पहला है, जब हमारी सेना जीत रही थी तब युद्धविराम की घोषणा करना. सीजफायर लगाया गया, अगर तीन दिन बाद सीजफायर होता तो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर आज भारत का हिस्सा होता. दूसरा है अपने आंतरिक मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना.”
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अमित शाह के उस बयान पर भी अपना पक्ष रखा जिसमें उन्होंने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद का मुद्दा उठाया था.
पत्रकारों ने ज फारूक से पूछा कि 370 हटने के बाद घाटी से दहस्त का माहौल कम हुआ है ? तो उस जवाब पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “कितनी फौज है वहां, कितनी बीएसएफ, कितनी सीआरपीएफ है? अगर इतनी फौज होने के बाद भी हमारे फौजी, जवान और अफसर मर रहे हैं तो वजह क्या है. अगर सचमुच आतंकवाद खत्म हो गया है तो हमारे जवान कैसे मारे गए?”
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था, “साल 1994 से 2004 तक आतंकवाद की कुल 40,164 घटनाएं दर्ज की गईं. 2004 से 2014 तक जब मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी के शासन का समय था, आतंकवाद की कुल 7,217 घटनाएं हुईं. नरेंद्र मोदी सरकार में यानी 2014 से 2023 तक सिर्फ 2,000 घटनाएं हुईं. इसलिए मैं ठीक ही कहता था कि अलगाववाद की भावना का मूल, उसका उद्भव स्थान, अनुच्छेद 370 है.”
इस बीच कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी कश्मीर के मुद्दे पर अमित शाह के बयान को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “…कल गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर तंज कसते हुए कहा था कि किसी देश में एक से अधिक संविधान, एक से अधिक ध्वज कैसे हो सकते हैं? अगर वे दुनिया भर में देखें तो ऐसे कई देश हैं जहां एक से अधिक संविधान, एक से अधिक ध्वज हैं. उदाहरण के लिए, अमेरिका के, 50 राज्यों में हर एक का अपना संविधान और अपना ध्वज है. इतना ही नहीं ऑस्ट्रेलिया में उनके पास न केवल अपना संविधान है और अपना ध्वज है, बल्कि प्रत्येक राज्य का अपना प्रधानमंत्री भी है. आप कह सकते हैं कि भारत में हम ऐसा नहीं चाहते. यह ठीक है लेकिन यह मत कहो कि किसी भी देश के पास यह नहीं हो सकता क्योंकि अन्य देशों के पास यह है.”
लोकसभा में जम्मू और कश्मीर से संबंधित विधेयकों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “एक देश में दो प्रधानमंत्री, दो संविधान और दो झंडे कैसे हो सकते हैं? जिन लोगों ने ऐसा किया, उन्होंने गलत किया. पीएम मोदी ने इसे ठीक किया. हम 1950 से कह रहे हैं कि देश में ‘एक प्रधान, एक निशान, एक विधान’ होना चाहिए और हमने यह किया.”
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