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Bihar : पीएफआई के टेरर मॉड्यूल ठिकानों पर एनआईए की बड़ी छापेमारी, जानें डिटेल्स

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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े कथित आतंकी मॉड्यूल की जांच के लिए बिहार में 30 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की है। पुलिस ने आरोपी रियाज अहमद के वैशाली स्थित घर पर भी छापेमारी की जिसने उसके घर में नए आतंकियों को प्रशिक्षण दिया था।

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छापेमारी बिहार के छपरा, वैशाली, अररिया और नालंदा में सुबह छह बजे से 11 बजे के बीच हुई। एनआईए की टीम ने सारण पीएफआई जिलाध्यक्ष परवेज आलम के घर भी छापेमारी की। परवेज आलम के घर पर स्थानीय पुलिस भी मौजूद थी।

उसके भाई ने पुलिस को बताया है कि पटना के अलावा अन्य जिलों में भी पीएफआई नए लोगों को आतंकवाद की प्रशिक्षण दे रहा है।

पीएफआई के सदस्यों के पास बेहद आपत्तिजनक सामग्री पाई गई। इस संगठन पर मार्शल आर्ट प्रशिक्षण की आड़ में हथियार प्रशिक्षण शिविर चलाने का आरोप लगाया गया था और इसका भारत को 2047 तक ‘इस्लामिक राज्य’ बनाने का लक्ष्य है। बाद में इस मामले को एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया।

सूत्रों के मुताबिक, नालंदा में सलीम अख्तर के घर और अरिया में एहसान परवेज के घर की एनआईए द्वारा तलाशी ली जा रही थी।

एनआईए ने 28 जुलाई को बिहार के पटना, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, नालंदा और मधुबनी जिलों में छापेमारी की और डिजिटल सबूत बरामद किए।

मामला शुरू में 12 जुलाई को पुलिस स्टेशन फुलवारी शरीफ में दर्ज किया गया था और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश मिलने के बाद एनआईए ने 22 जुलाई को भारतीय दंड संहिता की धारा 120, 120 बी, 121, 121 ए, 153 ए, 153-बी और 34 के तहत मामला दर्ज किया।

बिहार पुलिस ने पाया था कि पीएफआई के सदस्यों के प्रतिबंधित संगठन सिमी से संबंध थे। पुलिस ने इस सिलसिले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया था और करीब 26 संदिग्धों की पहचान की थी।

पुलिस जांच ने संकेत दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके निशाने पर थे। पटना पुलिस ने अतहर परवेज और मोहम्मद जलालुद्दीन को फुलवारी शरीफ इलाके से गिरफ्तार किया था। उनके कहने पर बाद में मार्गूब दानिश, अरमान मलील और शब्बीर के रूप में पहचाने गए तीन और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया।

वे कथित तौर पर एक आतंकी मॉड्यूल चला रहे थे और मुस्लिम युवकों का ब्रेनवॉश कर रहे थे। परवेज सिमी का सदस्य बताया जाता है और युवाओं को ट्रेनिंग देता था। परवेज के भाई मंजर आलम को पटना के गांधी मैदान बम विस्फोट के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था जो 2013 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान हुआ था। आलम बोधगया विस्फोट में भी शामिल था। वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है।

मोहम्मद जलालुद्दीन भी सिमी का सदस्य बताया जाता है। पुलिस ने दावा किया है कि उन्होंने पीएम की रैली के दौरान आतंकी हमले को अंजाम देने की कोशिश की थी।

पुलिस ने जलालुद्दीन और परवेज के पास से सनसनीखेज दस्तावेज बरामद किए थे जिसमें लिखा था कि वे 2047 तक भारत को इस्लामिक स्टेट बना देंगे।

दोनों युवकों को शारीरिक प्रशिक्षण देने के बहाने पटना में उनका ब्रेनवॉश कर रहे थे। वे कथित तौर पर मुस्लिम युवकों को हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़का रहे थे।

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