कांग्रेस सूत्रों ने हिन्दी ख़बर को बताया है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने से रोक सकते हैं।
रविवार को अशोक गहलोत खेमे के 80 से अधिक कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा सौंपा। विधायक जुलाई 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों में से राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के चयन का विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी पर्यवेक्षकों मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन से राजस्थान के मौजूदा हालात पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार खड़गे ने कहा है कि विद्रोह को स्वयं अशोक गहलोत ने प्रायोजित किया था।
इस बीच सूत्रों ने कहा कि अशोक गहलोत के पूर्व डिप्टी सचिन पायलट, जिन्होंने जुलाई 2020 में उनके खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया था, गांधी परिवार पर हस्तक्षेप करने और गहलोत के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए भरोसा कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल को भी राजस्थान भेजा है। वेणुगोपाल ने विधायकों की बगावत पर अशोक गहलोत से स्पष्टीकरण मांगा है।
सूत्रों के मुताबिक रविवार को इस्तीफा देने वाले विधायकों ने तीन सूत्री एजेंडा रखा है। इसमें गहलोत के वफादारों में से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की मांग भी शामिल है। गहलोत खेमे के विधायकों ने माकन और खड़गे सहित पार्टी आलाकमान के दूतों को अवगत करा दिया है कि राजस्थान में संभावित नेतृत्व परिवर्तन पर विचार कांग्रेस के नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद होना चाहिए। तीसरी शर्त ये है कि अशोक गहलोत के फैसले को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
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