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केंद्रीय मंत्री वीके सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत, LAC वाले बयान के खिलाफ दायर याचिका पर विचार करने से कोर्ट ने किया मना

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नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को भारत-चीन एलएसी (Line of Actual Control) मुद्दे पर कुछ टिप्पणी करके कथित तौर पर पद की शपथ का उल्लंघन करने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री, जनरल (सेवानिवृत्त) वी के सिंह के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। 

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चीफ जस्टिस एन वी रमण, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा, ‘अगर सिंह ने कुछ किया है तो यह प्रधानमंत्री को देखना है और सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश पारित नहीं कर सकता। ये कहते हुए पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता चंद्रशेखरन रामास्वामी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया। याचिकाकर्ता ने अलग-अलग घटनाओं का हवाला दिया था जब सिंह ने विवादास्पद बयान दिए। 

जनहित याचिका (Public interest litigation) में कहा गया था कि सेवानिवृत्त जनरल ने दावा किया था कि भारत ने अपनी धारणा के मुताबिक, कई बार (एलएसी) का उल्लंघन किया है। इस बयान का इस्तेमाल चीनियों ने अपने फायदे के लिए किया और भारत को उसके कथित क्षेत्र पर अतिक्रमण करने के लिए दोषी ठहराया। 

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से पूछा, ‘अगर आपको किसी मंत्री का बयान पसंद नहीं है, तो आप एक याचिका दायर करते हैं और उसे हटाने के लिए कहते हैं। अगर वह अच्छे मंत्री नहीं हैं तो प्रधानमंत्री इस पर गौर करेंगे।’ 

गौरतलब है कि याचिका में वीके सिंह की उस टिप्पणी का विरोध किया गया था जिसमें उन्होंने कहा, “भारत ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तुलना में एलएसी (वास्तविक नियंत्रण रेखा) के पार अधिक बार अतिक्रमण किया है, जिससे न केवल चीन को एक अवसर मिला बल्कि इस विषय पर भारत की लंबे समय से चली आ रही आधिकारिक स्थिति का भी खंडन किया है।” 

 

 

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