दुनिया की जानी मानी ऑटोमोबाइल कंपनी BMW को एक से एक मंहगी और बेहतरीन कार बनाने के लिए जाना जाता है। आज हम आपको बताएंगे इसी कंपनी की शुरूआत कहां से हुई और कैसे हुई जिस कहानी को आप पढ़कर सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। मिली जानकारी के हिसाब से इस कंपनी की शुरूआत विमानों के इंजन बनाने से हुई थी। इस कंपनी का पूरा नाम है, बावोरियन मोटर वकर्स है। जानकारी के लिए बता दें कि इसकी स्थापना जर्मनी के फ्रेंज जोसेफ पॉप, कार्ल रैप और कैमिलो कास्तिग्लिओनी ने मिलकर की थी। आधिकारिक तौर पर इसकी नींव 1917 में रखी गई थी।
BMW का संस्थापक कार्ल रैप को कहा जाता है। 24 सितंबर 1882 को जर्मनी में जन्मे रैप पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे। उन्होंने अपनी एक कंपनी बनाई और नाम दिया रैप मोटरइनवर्के। इस कंपनी ने विमानों और अन्य वाहनों से शुरूआत की थी, कहा तो ये भी जाता है, कारों से पहले खेतों के लिए पम्प और ट्रैक्टर के इंजन भी बनाती थी ये कंपनी।
विश्व युद्ध के दौरान विमानों के इंजन की मांग में तेजी बढ़ रही थी। मांग बढ़ने पर रैप मोटरइनवर्के को दो अन्य कंपनियों के साथ मिलाकर BMW की स्थापना की गई। कंपनी के पहले इंजन का नाम था BMW IIIA.। इसकी कार्य क्षमता अच्छी होने के कारण कंपनी को अलग-अलग जगह से आडर मिलने लगे। बता दें कि जैसी ही विश्व युद्ध की समाप्ति हुई वैसे ही मार्केट में इस कंपनी की डिमांड कम होने लगी। एक दौर ऐसा भी आया जब कार बनाने पर रोक लगा दी गई थी।
1923 में कंपनी ने मोटरसाइकिल बनाने की शुरुआत की। पहली मोटरसाइकिल का नाम था R32 रखा गया। इसके बाद कारों की दुनिया में एंट्री लेने के लिए BMW ने ऑटोमोबाइल्स बिगनिंग नाम की कंपनी को खरीदा और कारों का निर्माण शुरू किया। इस तरह कंपनी ने अपनी कार BMW 3/15 को मार्केट में उतारा
1939 में Second Word War के दौरान उनकी फैक्ट्री पर बम गिरा और सोवियत संघ ने उनकी कई फैक्ट्रियों को अपने अधीन कर लिया। इसी के साथ कार और मोटरसाइकिल बनाने पर रोक लगा दी गई। बता दें कि कंपनी मालिक ने फिर भी हार नहीं मानी।
कंपनी ने किचन का सामान बनाने का फैसला किया। समय के साथ अंगेज सरकार ने नए फैसले के अंतर्गत 1947 में कंपनी को वापस मोटरसाइकिल बनाने का अधिकार मिला। 1951 में कार बनाने पर लगे बैन को हटा दिया गया। क्योंकि कार की कीमत इतनी कम थी फिर इसी के चलते कार की बिक्री में लगातार गिरावट आने लगी।
इसका समाधान ढूंढने के लिए कंपनी ने अपनी रणनीति बदलती और 1500 कारें एक साथ पेश की उनकी कीमतों में बदलाव किए. नतीजा, डूबने की कगार पर पहुंच चुकी कंपनी को बड़ी राहत मिली। फिर BMW ने ब्रिटिश रोवर को खरीदा, लेकिन यह फायदे का सौदा नहीं रहा, इसलिए बाद में फोर्ड को इसे बेच दिया। इसके बाद कंपनी ने कभी भी पीछ़े मुड़कर नहीं देखा और दुनिया की सफल ऑटोमोबाइल कंपनियों में अपनी धाक जमाने में सफल है।
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