तक चलते वाली इस बैठक के नतीजों की घोषणा रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) गुरुवार 8 जून को करेंगे। रिजर्व बैंक ने पिछली बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रखा था। ऐसे में इस बैठक को लेकर होम लोन की ईएमआई भर रहे लोगों को काफी उम्मीदें है। लोगों को उम्मीद है कि इस बार पूरे एक साल बाद रिजर्व बैंक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। लेकिन विशेषज्ञों की मानें तो रिजर्व बैंक इस बार की एमपीसी की बैठक में ब्याज दरों को स्थिर रख सकता है।
पिछले साल कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बीच रिजर्व बैंक ने करीब 2 साल के ब्रेक के बाद अचानक रेपो रेट में बदलाव शुरू किया। तब से पिछले एक साल में देश में कर्ज (Loan) लगातार महंगा हो रहा है। एक साल के भीतर रेपो रेट की दरें 2.5 फीसदी तक बढ़ गई है। जिसका असर घर और कार के कर्ज पर हुआ है। कर्ज महंगा होने से EMI का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। पिछले साल तक करीब 7 फीसदी के आसपास मिल रहा होम लोन (Home Loan) और कार लोन (Car Loan) दहाई के अंकों में पहुंच गया। वहीं पर्सनल लोन (Personal Loan) सबकी ईएमआई (EMI) लगातार बढ़ रही है। हालांकि आम लोगों को फिक्स डिपॉजिट की बढ़ती दरों के रूप में फायदा भी मिला है।
भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC ) की बैठक हर दूसरे महीने होती है। इस महीने तीन दिवसीय बैठक की शुरुआत आज यानी 6 जून से हुई है। अगले तीन दिनों तक एमपीसी के सदस्य मौजूदा आर्थिक परिस्थिति को देखते हुए ब्याज दरों को लेकर चर्चा करेंगे। 8 जून को आरबीआई रेपो रेट को लेकर अपना फैसला सुनाएगा। आर्थिक जानकारों का मानना है कि एक बार फिर से आरबीआई रेपो रेट में बदलाव न कर लोगों को राहत दे सकता है। अप्रैल में हुई पिछली एमपीसी की बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को 6.5 की दर पर स्थिर रखा था। आर्थिक मामलों के जानकारों को उम्मीद है कि महंगाई के आंकड़ों क देखते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई में होने वाली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में एक बार फिर से रेपो रेट को स्थिर रखने पर फैसला किया जा सकता है।
उम्मीद है कि बता दें कि पिछले साल अप्रैल तक रेपो रेट 4 फीसदी था। जो पूरे साल की वृद्धि के बाद 6.5 फीसदी पहुंच गया है। देश में महंगाई दर जब पिछले साल उफान पर थी तब रिजर्व बैंक लगातार ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा था। लेकिन मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई को लेकर आंकड़े राहत देने वाले दिखाई दे रहे हैं। अप्रैल 2023 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई आधारित खुदरा महंगाई के 18 महीनों के निचले स्तर 4.7 फीसदी पर पहुंच गया। वहीं देश में जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार भी 6 प्रतिशत से अधिक रही है। इसे देखते हुए माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक इस बार होम लोन के बोझ में दबे लोगों को राहत दे सकता है।
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