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लाइफस्टाइल: कार्बाइड से पका केला खाकर कहीं ख़राब तो नहीं कर रहे आप अपना लीवर?

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आयरन, फास्फोरस, कैल्शियम से भरपूर केला स्वास्थ्य के लिए कितना फायदेमंद है ये तो आप जानते ही हैं। इसके अलावा इसमें  मौजूद विटामिन-ए से लेकर बी-6, सी, मैग्नीशियम, जिंक, सोडियम और पोटैशियम आदि पोषक तत्व भी इस फल को सुपरफूड बनाते हैं। लेकिन इसका पूरा फायदा लेने के लिए सही केले का चुनाव जरूरी है। क्योंकि आजकल फलों को जल्दी पकाने के लिए कार्बाइड का प्रयोग किया जाता है।

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तो आइये जानते हैं कार्बाइड से पके केले और नेचुरली पके केले की पहचान कैसे करें।

कार्बाइड से पके केले जल्दी खराब हो जाते हैं

प्राकृतिक रूप से पके केलों का रंग गहरा पीला और दागदार होता है। इसमें हल्के भूरे और काले रंग के धब्बे होते हैं। इसके अलावा ये खाने में काफी स्वादिष्ट और मीठे होते हैं।  जबकि कार्बाइड से पके केलों का रंग हल्का पीला होता है और उसके नीचे के हिस्से का छिलका हरे रंग का होता है, जबकि सामान्य रूप से पके केलों का रंग काला होता है, ऐसे केले जल्दी खराब हो जाते हैं। 

पानी में डुबोकर सही केले का पता लगा सकते हैं

प्राकृतिक रूप से पके हुए केले हर जगह से एकसमान रूप से पके हुए हैं, जबकि कार्बाइड से पकाए गए केले कहीं अधिक पके तो कहीं एकदम कच्चे रहते हैं। इसके अलावा केले को पानी में डुबाकर भी सही केले का पता लगाया जा सकता है। प्राकृतिक रूप से पका केला पानी में तैरता है जबकि कार्बाइड से पका केला पानी में डूब जाता है। 

लंबे समय तक कार्बाइड से पके केले खाने से लीवर पर बुरा असर पड़ता है। तो अब केले खरीदने से पहले इन बातों का ध्यान जरूर रखें।

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