Raksha Bandhan 2022: भाई-बहन के प्यार का रक्षा बंधन (Raksha Bandhan 2022) का पर्व काफी धूमधाम से मनाया जाता है। बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है। यानि की रक्षा सूत्र और यह त्योहार काफी खुशियों के साथ देशभर में मनाया जाता है। पहले लोग अपने भाईयों को राखी भेजते थे लेकिन आज डिजिटल युग में ऑनलाइन राखियां भेजी जा रही है और इसका काफी डिमांड भी हो गया है।
बता दें कि ये सवाल जब किसी के सामने आता है, तो सबसे पहले (Raksha Bandhan 2022) रानी कर्णावती और हूमायूं का ज़िक्र ही किया जाता है। अधिकतर लोग यही जानते हैं, कि चित्तौड़ के शासक महाराणा विक्रमादित्य के राज्य पर जब गुजरात के सुल्तान बहादुरशाह ने आक्रमण किया था। तब उनकी पत्नी रानी कर्णावती ने सेठ पद्मशाह के हाथों हुमायूं को राखी भेज कर मदद मांगी थी। यह तो एक कहानी है जो काफी लोगों को पता होगी। इसके अलावा भी काफी रोचक कथाएं है जो रक्षाबंधन के त्योहार की महता को बताता है।
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार जब युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ (Raksha Bandhan 2022) में राजसूय यज्ञ कर रहे थे, तब सभा में मौजूद शिशुपाल ने श्रीकृष्ण का अपमान किया था। जिसकी वजह से श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से उसका वध कर दिया था। इसी सुदर्शन चक्र से उनकी खुद की छोटी उंगली भी कट गयी थी, जिससे खून बह रहा था। इसी दौरान द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर श्रीकृष्ण की उंगली में बांध दिया था। तब श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को रक्षा का वचन दिया था जिसके बाद चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की थी।
एक और पौराणिक कहानी के मुताबिक (Raksha Bandhan 2022) देवराज इंद्र की पत्नी शचि ने अपने पति की रक्षा के लिए उनको ही राखी बांधी थी। कहा जाता है कि वृत्रासुर नाम के असुर ने देवराज इंद्र से युद्ध किया था। तब वृत्रासुर से अपने पति की रक्षा के लिए इंद्राणी शचि ने अपने तप से एक रक्षासूत्र तैयार किया था। जिसको श्रावण पूर्णिमा के दिन उन्होंने इंद्र की कलाई में बांधा था। इस रक्षासूत्र ने इंद्र की रक्षा करके उनको विजय दिलाई थी।
कहते हैं कि जब सिकंदर पूरी दुनिया पर (Raksha Bandhan 2022) फतह हासिल करने के लिए निकला था और भारत आया था, तब उनका सामना राजा पुरु से हुआ था। युद्ध में राजा पुरु ने सिकंदर को धूल चटा दी थी। लेकिन अपने पति को हारता देख सिकंदर की पत्नी ने उनकी जान बख्शने के लिए राजा पुरु को राखी भेजी थी। जिसके बाद युद्ध के समय पुरु के हाथ सिकंदर पर नहीं उठे और पुरु को सिकंदर ने बंदी बना लिया था। लेकिन राखी की मर्यादा का ख्याल करके सिकंदर ने भी पुरु को उनका राज्य वापस कर दिया था।
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