नई दिल्ली: बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में किगाली संशोधन की बहाली को मंजूरी दे दी गई है जो ओजोन के परत को घटाने वाले पदार्थों को नियंत्रित करने वाला एक वैश्विक समझौता है। इस समझौते में आधिकारिक तौर पर 2047 तक हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए प्रतिबद्ध किया है।
केंद्र सरकार ने कहा कि, “मौजूदा कानून ढांचे में संशोधन, ओजोन घटाने वाले पदार्थ (विनियमन और नियंत्रण) नियम, किगाली संशोधन के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए हाइड्रोफ्लोरोकार्बन के उत्पादन और खपत के उचित नियंत्रण की अनुमति 2024 के मध्य तक दी जाएगी।”
केंद्र सरकार के इस फैसले से हाइड्रोफ्लोरोकार्बन का उत्पादन और इस्तेमाल करने वाले उद्योग हाइड्रोफ्लोरोकार्बन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर देगा और गैर-एचएफसी और कम ग्लोबल वार्मिंग संभावित प्रौद्योगिकियों के ऊपर निर्भर करेगा। एचएफसी को चरणबद्ध तरीके से रोकने से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को रोकने, जलवायु परिवर्तन को रोकने में मदद करने और लोगों को लाभान्वित करने में सहायता मिलने की उम्मीद है।
हाइड्रोफ्लोरोकार्बन की रोक से ग्रीनहाउस गैसों के बराबर 105 मिलियन टन कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन को रोकने की उम्मीद की जा रही है, जिससे सन् 2100 यानी आज से 80 साल बाद तक वैश्विक तापमान में 0.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि से बचने में मदद मिलेगी और इसके साथ ही ओजोन परत की रक्षा भी होगी।
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