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तजाकिस्तान ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से किया साफ इनकार

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तजाकिस्तान। रूस के मित्र देश तजाकिस्तान ने तालिबान सरकार को मान्यता देने से साफ इनकार कर दिया है। जबकि रूस अफगानिस्तान की नई सरकार के समर्थन में है। तजाकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के बीच बीते दिनों एक बैठक हुई, जिसमें उन्होंने अपना रूख साफ करते हुए कहा कि “उनका देश एक ऐसी सरकार को मान्यता नहीं दे सकता, जो जरा भी समावेशी नहीं है। नई अफगान सरकार में सभी जाति के समूहों को मान्यता नहीं दी जा रही है।“

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“उत्पीड़न से बनी सरकार का समर्थन नहीं कर सकते“ – इमामोली

इमामोली ने तालिबान पर आरोप लगाया कि तालिबान की ओर से कहा गया था कि “वो सभी पक्षों को शामिल करेंगे, लेकिन उन्होंने अपना वादा नहीं निभाया। उन्होंने अफगानियों का उत्पीड़न किया, अल्पसंख्यकों को परेशान किया। और हम लोग उत्पीड़न से बनी सरकार का समर्थन नहीं कर सकते।“

जबकि तालिबान अफगानिस्तान में अपनी सरकार बनाने की कोशिशों में लगा है और चाहता है कि दुनिया भर की सरकारें उसे मान्यता दें। तजाकिस्तान की साफगोई से तालिबान को तगड़ा झटका लगा है।

क्यों नहीं कर रहा तजाकिस्तान, तालिबानी सरकार का समर्थन ?

दरअसल, अफगानिस्तान के पंजशीर में ताजिक समुदाय की एक बड़ी आबादी रहती है। और पंजशीर तालिबानियों का सबसे बड़ा विरोधी है। 2009 में तालिबान ने अलकायदा के आतंकियों के द्वारा पंजशीर के हीरो अहमद शाह मसूद की हत्या करवा दी थी। उसके बाद उन्होंने पंजशीर की घेराबंदी कर दी। इसलिए भी तजाकिस्तान अपनी जाति के लोगों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है और तालिबान पर आगबबूला हो रहा है।

कौन थे अहमद मसूद?

अहमद मसूद अफ़ग़ानिस्तान के एक राजनैतिक और सैनिक नेता थे। वह ताजिक परिवार से संबंध रखने वाले एक सुन्नी मुसलमान थे और अफगानिस्तान के पंजशीर में रहते थे। इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने वाले अहमद साम्यवाद के कट्टर आलोचक थे। 1979 में जब सोवियत संघ ने अपनी सेनाएं अफगानिस्तान भेजीं, तो अहमद ने उनके विरूद्ध एक के बाद एक कई सफल अभियान चलाए। जिसके बाद उन्हें ‘पंजशीर का शेर’ कहा गया। सितम्बर 2001 में अल-क़ायदा की साजिश में किए गये एक बम-हमले में उनकी मौत हो गई।
उनकी मौत के दो दिन बाद ही यूएसए में 9 /11 के आतंकवादी हमले हुए, जिसका बदला लेने के इरादे से अमेरिका ने मसूद के शक्तिशाली मोर्चे के साथ सांठ-गांठ करके तालिबान को हरा दिया।

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