पाकिस्तान: हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान इन दिनों टीएलपी की आग में झुलस रहा है। बता दें पाकिस्तान में टीएलपी ने बुधवार से सड़कों पर लॉन्ग मार्च शुरु किया हुआ है। दरअसल टीएलपी यानि तहरीक-ए-लब्बैक ये प्रदर्शन अपने नेता साद रिजवी की रिहाई की मांग के लिए कर रही हैं, साद रिजवी को पाकिस्तान सरकार ने अप्रैल में गिरफ्तार किया था।
तहरीक-ए-लब्बैक के प्रदर्शन के दौरान अब तक करीब 6 पाकिस्तानी पुलिस वालों की मौत हो चुकी है। टीएलपी ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द उनके नेता को रिहा किया जाए। इसके साथ ही टीएलपी ने पाकिस्तानी सरकार से पाकिस्तान में फ्रांस के राजदूत को वापस भेजे जाने की भी बात कही है।
फ्रांसीसी मैग्जीन चार्ली हेब्दो में पैगंबर मोहम्मद के छपे कार्टून की वजह से पाकिस्तान में TLP समर्थक इस तरह का विरोध प्रदर्शन करते आ रहे हैं। साल 2017 के बाद तीसरी बार टीएलपी ने ऐसा विरोध किया है।
चार्ली हेब्दो वही मैग्जीन है जिसके ऑफिस पर 2015 में आतंकी हमला हुआ था। 2017 के बाद ये तीसरा मौका है जब TLP समर्थक इस तरह का विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले इसी साल अप्रैल में भी TLP का विरोध प्रदर्शन हिंसक हुआ था। उस वक्त TLP ने आरोप लगाया था कि सरकार देश में फ्रांसीसी दूतावास बंद करने के अपने वादे से मुकर गई है।
16 अक्टूबर 2020 को फ्रांस में एक युवक ने सैम्युअल पैटी नाम के टीचर की गर्दन काटकर हत्या इस वजह से कर दी थी क्योंकि उस टीचर पर छात्रों को पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाने का आरोप था। जिसके बाद इस हत्या को लेकर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने कड़ी निंदा की थी। जिसके बाद तहरीक-ए-लब्बैक ने नवंबर 2020 ने फ्रांस का विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, लेकिन पाकिस्तान सरकार ने TLP को आश्वासन देकर मामले को सुलझा लिया था। पाकिस्तान सरकार ने टीएलपी से वादा किया था कि सदन में प्रस्ताव लाकर फ्रांस के राजदूत को वापस भेज दिया जाएगा लेकिन अब तक वादा पूरा नही होने के कारण विरोध प्रदर्शन फिर उग्र हो रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन प्रदर्शनों में पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का हाथ होने की पूरी संभावना है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सुशांत सुरीन ने कहा कि पाकिस्तान में इतने बड़े विरोध प्रदर्शन के लिए बिना पाकिस्तानी सेना और आईएसआई के साथ के संभव नहीं है।
पाकिस्तानी सरकार द्वारा फ्रांस के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेने का कारण है कि अगर सरकार ऐसा करती है तो यूरोपियन यूनियन और अमेरिका उसके खिलाफ हो जाएंगे। इसके साथ ही पाकिस्तान को FATF ने पहले ही ग्रे लिस्ट में डाल रखा है, अब ऐसे में पाकिस्तान अपने पैर कीचड़ में और धंसने नही दे सकता।
साल 2017 में खादिम हुसैन रिजवी ने TLP की स्थापना की थी। रिजवी धार्मिक विभाग में कर्मचारी थे और लाहौर की एक मस्जिद के मौलवी थे। साल 2011 में पंजाब पुलिस के गार्ड मुमताज कादरी ने पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी थी, जिसका रिजवी ने खुले तौर पर समर्थन किया। समर्थन जाहिर करने की वजह से उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था। 2016 में कादरी को दोषी करार के बाद TLP ने ईश निंदा और पैगंबर के ‘सम्मान’ के मुद्दों पर पूरे पाकिस्तान में विरोध शुरू किया।
इसके बाद खादिम रिजवी ने ऐलान किया वो धार्मिक पार्टी बनाएंगे। पिछले साल अक्टूबर में खादिम रिजवी की मौत हो गई थी। खादिम रिजवी के मौत के बाद अंतिम संस्कार में लौहार में हजारों की भीड़ उमड़ी थी। कहा जाता है आज तक पाकिस्तान में ऐसी अंतिम यात्रा किसी की नही देखी गई। खादिम रिजवी की मौत के बाद उनके बेटे साद रिजवी ने TLP का कमान संभाला। ईश निंदा और धार्मिक मुद्दों पर विशेष पकड़ की वजह से तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तानी राजनीति में ठीक-ठाक हलचल पैदा करने की कूबत रखता है।
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