पाक कट्टरपंथियों ने शहीद भाई तारू सिंह गुरुद्वारे पर लगाया ताला, बताया ‘मस्जिद’

पाकिस्तान के इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने लाहौर में स्थित गुरुद्वारा शहीद भाई तारू सिंह को मस्जिद होने का दावा करते हुए पूजा के लिए बंद कर दिया है। पाकिस्तान के ईटीपीबी ने कुछ कट्टरपंथियों के साथ मिलकर गुरुद्वारे पर ताला लगा दिया है, जिससे इस्लामिक राष्ट्र में सिख समुदाय नाराज है।
डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, लाहौर स्थित गुरुद्वारे को लेकर काफी समय से विवाद चल रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस गुरुद्वारे में प्रतिदिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करते हैं।
शहीद गंज नालौखा क्षेत्र में स्थित गुरुद्वारा का एक लंबा और उथल-पुथल भरा इतिहास रहा है, जो शहर के सिखों और मुसलमानों के बीच विवाद का कारण रहा है।
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने किसी गुरुद्वारे पर ताला लगाया हो और उसे मस्जिद होने का दावा किया हो। दो साल पहले इसी तरह की एक घटना सामने आई थी, जब एक प्रमुख गुरुद्वारे को मस्जिद घोषित कर दिया गया था, जिसके बाद भारतीय अधिकारियों ने मामले में हस्तक्षेप किया और विरोध दर्ज कराया। भारत ने तब कहा था कि गुरुद्वारा श्रद्धा का स्थान है और सिख समुदाय इसे ‘पवित्र’ मानता है।
गुरुद्वारा दीवारों से घिरे लाहौर शहर से थोड़ा बाहर नालौखा नामक क्षेत्र में स्थित है, जिसके बारे में माना जाता है कि कभी राजकुमार दारा शिकोह का प्रसिद्ध महल था। रिपोर्ट में कहा गया है कि शिकोह ने अपने छोटे भाई औरंगजेब के हाथों हत्या से पहले लाहौर के गवर्नर के रूप में कार्य किया था।
सिखों का मानना है कि लाहौर के गवर्नर और मुगल साम्राज्य के प्रतिनिधि मीर मन्नू के आदेश पर इस समुदाय के सैकड़ों हजारों निर्दोष पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का नरसंहार किया गया था।