यूक्रेन पर रूसी हमले के तेरह दिन बीत जाने के बाद अब तक बीस लाख लोग यूक्रेन छोड़ चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र (United Nations) के शरणार्थियों के लिए उच्चायुक्त फ़िलिपो ग्रांडी के हवाले से बीबीसी को ये जानकारी दी गई।
यूक्रेन संकट दूसरे विश्व युद्ध के बाद का सबसे बड़ा रिफ्यूजी संकट बनता जा रहा है। लगातार हजारों की संख्या में लोग अपना देश छोड़, पड़ोसी मुल्कों में शरण ले रहे हैं।
साथ ही ग्रांडी ने ये बताया कि शुरूआती दौर में जिन लोगों ने यूक्रेन छोड़ा था, वो संपन्न थे, क्योंकि उनके पास आने के साधन थे। उनमे से ज्यादातर कारों से आए थे।
उन्होंने कहा, “इन लोगों के पास यूक्रेन से बाहर भी संपर्क थे। वे अपने परिवार, दोस्तों और समुदायों के पास गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि अगर युद्ध इसी तरह जारी रहा तो ऐसे लोग भी यूक्रेन छोड़ेंगे जिनके पास संसाधन का अभाव होगा।
ग्रांडी ने आगे कहा, “ये यूरोपीय देशों के लिए एक जटिल मुद्दा बना हुआ है। इस मुद्दे पर सारे यूरोप को एकजुट होना पड़ेगा। दुनिया के बाक़ी हिस्सों में भले ही ऐसा हुआ हो लेकिन यूरोप में दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा संकट कभी नहीं आया है।”
उधर पोलैंड के उप विदेश मंत्री पावेल जाबलोंस्की ने पोल्साट न्यूज़ को बताया है कि यूरोपीय संघ को शरणार्थी संकट से लड़ने के लिए 50 करोड़ यूरो की जरूरत है क्योंकि क़रीब 12 लाख लोग यूक्रेन छोड़कर पोलैंड पहुँचे हैं।
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