नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ जो कि एक अन्तरराष्ट्रीय संस्था है। अपने सदस्य देशों की वैश्विक आर्थिक स्थिति पर नज़र रखने का काम करती है और जरुरत पड़ने पर उन देशों को कर्ज भी देती है। फिलहाल इसने अफगानिस्तान में बैठे तालिबानियों की चिंता बढ़ा दी है।
आईएमएफ के प्रवक्ता जेरी राइस ने बताया है कि, ‘जैसा कि हमेशा होता है, आईएमएफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय के विचारों से निर्देशित होता है। वर्तमान में अफगानिस्तान में सरकार की मान्यता के संबंध में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के भीतर स्पष्टता की कमी है, जिसके परिणाम स्वरूप अफगानिस्तान एसडीआर या अन्य आईएमएफ संसाधनों तक नहीं पहुंच सकता है।’
बाइडेन सरकार ने भी 16 अगस्त को अमेरिकी बैंकों में रखी अफगान सरकार की संपत्ति को फ्रीज कर दिया था। बताया जाता है कि अफगानिस्तान की ज्यादातर संपत्ति देश के बाहर रखी गई है, ऐसे में तालिबान के लिए अफगानिस्तान की संपत्ति और संसाधन का इस्तेमाल कर पाना बेहद मुश्किल है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक, अप्रैल 2021 तक अफगानिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास 706 अरब रुपये की संपत्ति सुरक्षित रखी हुई थी।
तालिबान के उत्पात को ध्यान में रखते हुए अमेरिका ने कहा है कि वो अफगानिस्तान को अब हथियार की बिक्री नही करेगा। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने नेट प्राइस ने जानकारी दी और कहा कि, ‘अफगानिस्तान में सहयोगियों और भागीदारों के साथ निरंतर समन्वय के बारे में आज इटली के विदेश मंत्री लुइगी डि माओ के साथ बातचीत हुई। उन्होंने सभी अफगान और अंतर्राष्ट्रीय नागरिकों की सुरक्षा और सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए चल रहे निकासी प्रयासों और तरीकों पर चर्चा की।’
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