सालों बाद दुनिया को मिले मलेरिया के पहले टीके RTS, S/AS01 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी मिल गई है। इसकी शुरूआत उन देशों से की जाएगी, जो मलेरिया से सबसे अधिक पीड़ित हैं। इसके बाद WHO का पूरा ध्यान पूरी दुनिया के लिए मलेरिया वैक्सीन बनाने के लिए फंडिंग की व्यवस्था पर होगा, ताकि यह टीका हर जरूरतमंद देश तक पहुंचाया जा सके।
हालांकि मलेरिया को कंट्रोल करने के तरीकों में वैक्सीन को शामिल करना है कि नहीं, इस फैसले के लिए सभी देश स्वतंत्र होंगे।
एक रिसर्च के अनुसार हर दो मिनट में एक बच्चे की मौत मलेरिया से हो जाती है। 2019 में विश्वभर में मलेरिया से 4.09 लाख मौतें हुई थीं, जिनमें 67% यानी 2.74 लाख बच्चों की उम्र 5 साल से कम थी। उसी दौरान भारत में मलेरिया के 3 लाख 38 हजार 494 केस आए थे, जिसमें से 77 लोगों की मौत हो गई थी।
पिछले 5 सालों के आंकड़ों को देखा जाए, तो भारत में मलेरिया की वजह से सबसे ज्यादा 384 मौतें 2015 में हुई थीं। लेकिन उसके बाद से इन मौतों का आकंड़ा लगातार कम होता रहा है।
यह वैक्सीन पहली बार 1987 में GSK कंपनी द्वारा बनाई गई थी। वैक्सीन बनने के बाद इसे सबसे पहले 2019 में घाना, केन्या और मालावी में पायलट प्रोग्राम के तहत 23 लाख बच्चों को दिया गया था। इसके परिणामों को देखने के बाद उसके आधार पर ही WHO ने अब वैक्सीन को अंतिम मंजूरी दी है।
इन नतीजों में वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित पाई गई। कहा जा रहा है कि इससे 30% तक गंभीर मामलों की रोकथाम की जा सकती है। यह वैक्सीन ऐसे बच्चों को दी गई थी, जिसमें दो तिहाई ऐसे बच्चे शामिल थे, जिनके पास मच्छरदानी नहीं थी। इसके अलावा यह बात भी सामने आई है कि मलेरिया वैक्सीन का दूसरे टीकों या मलेरिया रोकथाम के दूसरे उपचारों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है।
WHO ने उप-सहारा अफ्रीकी देशों के बच्चों को दो साल की उम्र तक मलेरिया वैक्सीन के 4 डोज देने का सुझाव दिया है। उसने ये भी बताया कि मलेरिया वैक्सीन मलेरिया फैलाने वाले 5 पैरासाइट्स में से एक सबसे खतरनाक पैरासाइट्स प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम को बेअसर कर देती है।
WHO का मानना है कि इस वैक्सीन से 10 में से 4 सामान्य मामले और 10 में से 3 गंभीर मामलों में लोगों को बचाया जा सकता है। WHO के अनुसार हर साल दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली 4.09 लाख मौतों में ज्यादातर अफ्रीकी देशों के बच्चे होते हैं।
ठंड लगना, तेज बुखार, सिरदर्द, गले में खराश, पसीना आना, थकान, बेचैनी, उल्टी आना, एनिमिया, मांसपेशियों में दर्द और खूनी दस्त। यदि किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए।
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