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पूर्व अफगानी PM हेकमतयार ने कहा- भारत तालिबान के साथ सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाए

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काबुल: अफगानिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और हिज़्ब-ए-इस्लामी गुलबुद्दीन (HIG) पार्टी के प्रमुख गुलबुद्दीन हेकमतयार ने कहा है कि भारत को तालिबान के साथ सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए। हेकमतयार वो शख्स हैं, जिनके लड़ाकों ने 1990 के खूनी गृहयुद्ध के दौरान काबुल में हजारों लोगों को मार डाला था।

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देश से निकाले जाने के बाद गुलबुद्दीन हेकमतयार 2016 में वापस अफगानिस्तान लौटे। उसके बाद से वे विभाजनकारी व्यक्ति बने हुए हैं। उन्होंने अगली अफगान सरकार यानी कि तालिबान की सरकार तय करने के लिए बातचीत और चुनावों का समर्थन किया है। साथ ही वर्तमान में तालिबान नेताओं के साथ चर्चोओं में भी भाग ले रहे हैं।

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों के साथ हैं गहरे संबंध

CNN-18 को दिए इंटरव्यू में हेकमतयार ने कहा है कि भारत को अफगानिस्तान की पूर्व सरकार को किसी भी तरह का मंच देने से बचना चाहिए और अगर भारत ऐसा करता है तो तालिबान कार्रवाई करने के लिए मजबूर होगा।

इंटरव्यू के दौरान जब उनसे पुछा गया कि भारत नए अफगानिस्तान में क्या भूमिका निभाए? इस सवाल पर उन्होनें कहा, ‘मैं चाहता हूं कि भारत पिछले चार दशकों में अफगानिस्तान की भूमिका के विपरीत सकारात्मक और रचनात्मक भूमिका निभाए। भारत ने स्वतंत्रता के लिए अफगान का समर्थन करने के बजाय सोवियत संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों के आक्रमण और कब्जे का समर्थन करना चुना। भारत को विदेशी ताकतों जिन्होंने अफगानिस्तान पर लंबे समय से कब्जा की हुई कठपुतली व्यवस्था को समर्थन करने से भी बचना चाहिए’।

CNN ने हेकमतयार से अफगानिस्तान में फिर से आतंकी गतिविधियां बढ़ने की संभावनाओं पर उनकी राय मांगी, जिसपर हेकमतयार ने कहा, अफगानिस्तान कभी भी विदेशी आतंकवादियों का पनाहगाह नहीं रहा है और न ही अब होगा। आतंकवाद की अवधारणा अफगानिस्तान के लिए विदेशी है, यह विदेशी आक्रमणों के कारण एक आयात की हुई घटना है। विदेशी कब्जे के अंत से देश में आतंकवाद का अंत होगा। हम राजकीय आतंकवाद के शिकार हुए हैं। कब्जेदारों की सेवा में खुफिया नेटवर्क द्वारा आतंकवाद का आयोजन किया जाता है’।

बता दें कि गुलबुद्दीन हेकमतयार को तालिबान की भावी सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिल सकती है।
इससे पहले तालिबान ने पंजशीर के अहमद मसूद को भी सरकार में जिम्मेदारी देने की पेशकश की थी, लेकिन तालिबान की धमकी की वजह से बात नहीं बन पाई।

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