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भारत में रह रहे अफगानी रिफ़्यूजियों का दिल्ली में प्रदर्शन, रिफ्यूजी कार्ड और थर्ड कंट्री में सेटलमेंट की मांग

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नई दिल्ली। अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद भारत में रह रहे अफगानियों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि अफगानिस्तान के हालात बहुत ख़राब हैं, हम वहाँ नहीं जा सकते, और भारत में नागरिकता कानून यानी CAA के लागू होने से यहाँ भी रहना मुमकिन नहीं लग रहा है। भारत में अफगानिस्तान के 21 हजार से ज्यादा लोग रहते हैं। और अब उन सबके ऊपर संकट मंडरा रहा है।

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‘वी वॉन्ट फ्यूचर, वी वॉन्ट लाइफ’ का नारा लगा रहे शरणार्थी

ऐसे में वो सभी भारत सरकार से रिफ़्यूजी कार्ड की मांग कर रहे हैं, जिसकी वजह से पिछले करीब एक हफ़्ते से रिफ़्यूजी सरकारी दफ़्तरों और दूतावासों के चक्कर लगा रहे हैं। और इसी मांग को लेकर 23 अगस्त, सोमवार को सैकड़ों अफगानियों ने ‘यूनाइटेड नेशंस हाई कमिश्नर फॉर रिफ्यूजीस’ (UNHCR) (दिल्ली) ऑफ़िस के सामने प्रदर्शन किया। वो लोग UNHCR दफ्तर के सामने अफगानिस्तान का झंडा हाथ में लेकर ‘वी वॉन्ट फ्यूचर, वी वॉन्ट लाइफ’ का नारा लगा रहे हैं।

थर्ड कंट्री में री-सैटलमेंट, रिफ्यूजी कार्ड की मांग

अफगानिस्तान के रिफ़्यूजीस का कहना है कि रिफ़्यूजी कार्ड न होने की वजह से बच्चों को स्कूल में एडमीशन नहीं मिल पा रहा है। लोगों को जॉब नहीं मिल रही है, जिन्हें मिलती भी है उनके साथ भेद-भाव किया जाता है। अफगानी लोगों का कहना है कि यदि उन्हें रिफ़्यूजी कार्ड नहीं मिल सकता तो किसी अन्य तीसरे देश की नागरिकता दिलाने और वहाँ सेटल कराने की व्यवस्था भारत सरकार करे। इसके अलावा भी उनकी कई मांगें हैं-

  • रिफ्यूजी कार्ड जारी करने के जो क्लोज्ड केस हैं, उन्हें री-ओपन किया जाए।
  • रिफ्यूजीज़ को UNHCR का पहचान पत्र दिया जाए,
  • थर्ड कंट्री में री-सैटलमेंट किया जाए।

अहमद जिया गनी का बयान

भारतीय अफगान रिफ्यूजी संगठन के चीफ़ अहमद जिया गनी कहते हैं कि यहां करीब 21 हजार अफगानी शरणार्थी रहते हैं। और इनमें से अधिकतर दिल्ली में, बाकी हैदराबाद और पुणे में रहते हैं। इन 21 हजार शरणार्थियों में से सिर्फ 7 हजार लोगों के पास ही UNHCR कार्ड हैं। बाकी लोगों के पास सिर्फ ब्लू कार्ड है, जिसकी कोई वैल्यू नहीं है।

UNHCR कार्ड है जरूरी

शरणार्थियों का कहना है कि “हमारी इन मांगों पर सरकार ध्यान दे, लेकिन अभी के लिए भारत सरकार हमें स्टे वीजा दे। साथ ही इसकी समय सीमा भी बढ़ाए। उनका कहना है कि जब CAA (Citizenship Amendment Act) नहीं आया था तब हमें लग रहा था कि हम वक्त के साथ भारत में सैटल हो जाएंगे, लेकिन अब हमारी ये उम्मीद भी टूट गई है। रिफ्यूजियों को किसी देश की नागरिकता प्राप्त करने के लिए UNHCR के सपोर्ट लेटर की आवश्कता होती है, जिसकी वो मांग कर रहे हैं।”

CAA कानून से मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता मिलने में होगी मुश्किलें

एक अखबार में ह्यूमेनेटेरियन एंड इंटरनेशनल के प्रमुख सुधांशु शेखर सिंह बताते हैं कि “सभी अफगानी शरणार्थियों को UNHCR कार्ड नहीं मिला है, जिनको कार्ड मिला भी है, उन्हें भी बतौर रिफ्यूजी ज्यादा सुविधाएं नहीं मिल पाई हैं। कई अफगानी रिफ्यूजियों को नौकरी पाने की इजाजत नहीं है। इसलिए जॉब मार्केट में इनका शोषण किया जाता है। महिलाओं को देह व्यापार में आने के लिए दबाव बनाया जाता है।“

क्या मुसालमान रिफ्यूजियों को झेलनी पड़ेगी मुसीबत

सुधांशु आगे कहते हैं कि “यदि CAA लागू हो जाता है तो गैर मुस्लिम लोगों को तो भारतीय नागरिकता मिल जाएगी, लेकिन मुस्लिम रिफ्यूजियों को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। अधिकतर रिफ्यूजी यहां रहना भी नहीं चाहते। वे चाहते हैं कि UNHCR उनका थर्ड कंट्री सैटलमेंट कराए। यूरोप ने अपने यहां अफगानी रिफ्यूजियों को लेने से इंकार कर दिया है। दुनिया के कई बड़े देश भी शरण देने से बच रहे हैं। ऐसे में इन अफगानियों का थर्ड कंट्री सैटलमेंट होना एक बड़ी चुनौती है।“

शेखर कहते हैं कि “ऐसे हालात में सिविल सोसाइटी और सरकार को समझने की जरूरत है कि ये लोग भी इंसान हैं, जब तक अफगानी रिफ्यूजियों का थर्ड कंट्री में सैटलमेंट नहीं हो जाता तब तक इन्हें जिंदगी बिताने के लिए कुछ मूलभूत सुविधाएं दी जाएं।“

कहा जा रहा हैं कि इस समय भारत देश में करीब 3 लाख के आस-पास रिफ्यूजी रह रहे हैं, लेकिन भारत 1951 के UN कंवेशन और 1967 के रिफ्यूजी प्रोटोकॉल का हिस्सा नहीं है।

भारत में रिफ्यूजियों के विषय को लेकर न कोई नीति है न ही कोई इस बारे में कोई कानून है। जिसके चलते भारत शरणार्थियों को किसी भी समय गैर-कानूनी प्रवासी घोषित कर सकता है। रोहिंग्या के मामले में UNHCR वेरिफिकेशन के बावजूद सरकार ऐसा कर चुकी है। इसके अलावा फॉरेनर्स एक्ट या इंडियन पासपोर्ट एक्ट के तहत कार्रवाई कर सकता है। और उन्हें अतिक्रमणकारी करार दे सकता है।

नागरिकता कानून के तहत हो सकती है मदद

लेकिन मोदी सरकार ने कुछ समय पहले ही रिफ़्यूजियो के मुद्दे को लेकर CAA कानून बनाया था। जिसमें धर्म के आधार पर रिफ्यूजियों को नागरिकता देने की बात की गई थी। जिस पर काफी विरोध भी हुआ था, तमाम विरोधों के बावजूद ये बिल पास हो गया था। ऐसे में अफगानिस्तान से आने वाले गैर- मुस्लिमों को तो भारतीय नागरिकता मिल सकती है, लेकिन मुस्लिम रिफ्यूजियों के लिए ये दूर की कौड़ी साबित हो सकती है।

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