मुंबई। बॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री कंगना रनौत अपनी आने वाली फिल्म ‘थलाइवी’ को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं। कंगना साउथ की फिल्मों से डेब्यु करने वाली हैं। थलाइवी तमिलनाडु की पूर्व सीएम जयललिता की बायोपिक है, जिसमें कंगना जयललिता का किरदार निभा रही हैं।
उसी को लेकर हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में कंगना ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को ‘टॉक्सिक’ (विषाक्त) बता दिया है। उन्होंने कहा कि तमिल फिल्म इंडस्ट्री की अपेक्षा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ‘टॉक्सिक’ (विषाक्त) है, इसमें ‘सहानुभूति’ की कमी भी है। बॉलीवुड इंडस्ट्री में एंटर करना ‘द ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ को तोड़ने जैसा है।” इसके आगे उन्होंने कहा कि “क्योंकि वह साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में अभी आई हैं, इसलिए क्षेत्रीय सिनेमा जगत (रीजनल फिल्म इंडस्ट्री) के बारे में उनका नजरिया बहुत ही सतही है।
कंगना ने आगे कहा, ‘रीजनल सिनेमा के विषय में एक बात बहुत खास है कि यहाँ पर लोग अपने हिसाब से एक कॉमन ग्राउंड की तलाश कर लेते हैं। और फिर खुद को आवश्यकतानुसार उसी में ढ़ाल लेते हैं। और यही खास बात उन्हें आपस में जोड़े रखती है।’
वहीं अगर हिंदी फिल्मों की बात करें, तो सभी लोगों के मुंबई चले जाने से यहाँ बहुत वैरायटी हो गई है। इसके बावजूद भी हमेशा एक चिंता बनी रहती है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में सभी एक दूसरे को नीचे गिराने की कोशिश में लगे रहते हैं, जो कि बिल्कुल गलत है। यह जगह इतनी विषाक्त हो गई है कि कोई भी किसी दूसरे व्यक्ति के लिए खुश नहीं है, और न ही कोई किसी को खुश देख सकता है। वहाँ हम एक कॉमन ग्राउंड की तलाश नहीं कर पा रहे हैं, जिसके जरिए हम अपनी पहचान बना सकें।”
कंगना रनौत ने कहा, “हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में प्यार, हमदर्दी, भाईचारा, करुणा जैसी चीजों के लिए कोई जगह नहीं है। आप कल्पना कर सकते हैं कि वह जगह कितनी जहरीली होगी। जबकि उसी जगह रीजनल सिनेमा ऊंचाइयों की ओर जा रहा है। यहाँ लोग एक दूसरे के प्रति शानदार बर्ताव करते हैं। मुझे उम्मीद है कि रीज़नल सिनेमा हमेशा ऐसा ही रहेगा, यहाँ आने वाले नए लोग इसे बर्बाद ना करें।
कंगना रनौत ने आगे कहा कि जब वो बॉलीवुड में आई थीं, तो वहाँ किसी भी प्रकार का कोई प्रॉपर प्रोसेस नहीं था। न ही कोई कॉस्टिंग एजेंट नहीं था। एक्टर्स को लॉन्च करने के लिए कोई ओटीटी प्लेटफॉर्म भी नहीं था। मेरे लिए यह बहुत कठिन वक्त था। उन्होंने बताया कि उस वक्त वो काफी हताश और निराश हो गई थीं। उनके लिए ‘करो या मरो’ की स्थिति बन गई थी। उन्होंने कहा कि जब सारे रास्ते बंद हो गये थे, तो बॉलीवुड रूपी ‘चीन की दीवार’ में रास्ता बनाने का संघर्ष उन्हे खुद ही करना पड़ा था। उनके पास इसके अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं था।
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